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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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जी बहुत बहुत आभार आपका।

आद0 मनन कुमार सिंह जी सादर अभिवादन। मुशायरे में एक अच्छी ग़ज़ल के साथ प्रतिभागिता पर मेरी बधाई स्वीकार कीजिये

जी शुक्रिया आदरणीय।

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, अच्छी प्रस्तुति, बधाई।

जी शुक्रिया आदरणीय।

ग़ज़ल 1

ख़्वाब ए जानाँ दिखा गया है मुझे
नींद से वो जगा गया है मुझे

सैकड़ों बार का सुना किस्सा
किस्सा गो फिर सुना गया है मुझे

उम्र का हर गुज़श्ता लमहा आज
एक शाइर बना गया है मुझे

मेरे अंदर रवाँ तुम्हारा ख़याल
ज़ेर ए दरिया डुबा गया है मुझे

मुझपे क्या-क्या न गुज़री है लेकिन
'सब्र करना तो आ गया है मुझे'

-मौलिक व अप्रकाशित

जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आपका तहेदिल से शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब

आद0 शिज्जू शकूर साहब सादर अभिवादन। बेहतरीन और प्यारी ग़ज़ल। दूसरा तीसरा शैर खासतौर से पसंद आया। बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिये

आदरणीय शिज्जु ‘शकूर’ साहब ,बेहतरीन ग़ज़ल हुई!!

बधाई!!

हौसला अफज़ाई के लिए हार्दिक आभार आ. संतोष खिरवाडकर जी

आदरणीय सिज्जू साहब बहुत बेहतरीन गजल दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए

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