For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-55

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 55 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह  मशहूर शायर और हिंदी फिल्मों के सबसे बड़े गीतकार जनाब मज़रूह सुल्तानपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है| पेश है मिसरा ए- तरह 

 

"न जाने कब हो सहर कौन इंतिज़ार करे "

1212 1122 1212 112/22

मुफाइलुन फइलातुन मुफाइलुन फइलुन/फेलुन

(बह्र: बह्र मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर)
रदीफ़ :- करे
काफिया :- आर (इन्तिज़ार, बहार, निसार, खुमार  आदि )

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 30 जनवरी दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 31 जनवरी  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 30 जनवरी दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13784

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कली चमन की भला कैसे ऐतवार करे 

वो कैसे मानं ले भंवरा भी उससे प्यार करे 

वतन का सच्चा सिपाही मुझे वही लगता 

वतन के वास्ते जाँ अपनी जो निसार करे 

हवा ने जब भी उजाड़ा चमन थी मौन कली 

मगर वो रोये यही काम जब बहार करे 

है चारसू ही गया फ़ैल अँधेरा है घना 

न जाने कब हो सहर कौन इन्तिज़ार करे 

जो काम कर न सका वो फ़कीर जीकर भी 

वो काम उसके सभी उसकी ये मज़ार करे 

तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है 

तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे 

ठहर के अश्क हंसी रुख पे मोतियों की तरह 

हैं शायरों को जमाने से बेक़रार करे 

ख़ुदा की रोज खिलाफत यूं करता है आशू

वो बदनसीब से भी प्यार बेशुमार करे 

मौलिक व अप्रकाशित 

वतन का सच्चा सिपाही मुझे वही लगता 

वतन के वास्ते जाँ अपनी जो निसार करे ...............सुंदर भावना।

जो काम कर न सका वो फ़कीर जीकर भी 

वो काम उसके सभी उसकी ये मज़ार करे ...............अति सुंदर।

तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है 

तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे ----बहुत खूब 

जो काम कर न सका वो फ़कीर जीकर भी 

वो काम उसके सभी उसकी ये मज़ार करे -----सच है 

अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० आशुतोष जी बधाई आपको 

बस गिरह के शेर में उलझी हुई हूँ ....

कली चमन की भला कैसे ऐतवार करे 
वो कैसे मानं ले भंवरा भी उससे प्यार करे .................भँवरा ऐतवार करने जैसा भी नहीं है ।

हवा ने जब भी उजाड़ा चमन थी मौन कली 
मगर वो रोये यही काम जब बहार करे ..............बहुत खूब ! 

तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है 
तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे ..................वाह वाह । बधाइ हो आदरणीय ! 

बहुत खूब डॉ आशुतोष मिश्रा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

डॉ आशुतोष मिश्रा जी बहुत खूब कहा ...

तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है

तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे.. शानदार ,बहुत बहुत बधाई !

हवा ने जब भी उजाड़ा चमन थी मौन कली
मगर वो रोये यही काम जब बहार करे
बहुत खूब

गिरह भी अच्छी लगाई है बहुत बहुत बधाई आपको

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें. पुनः वापस आता हूँ 

तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है 

तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे 

आदरणीय डा ० आशुतोष जी अच्छे अशार हुए हैं ..ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेर सारी दाद और मुबारकबाद कबूल कीजिये|

वतन का सच्चा सिपाही मुझे वही लगता 

वतन के वास्ते जाँ अपनी जो निसार करे .......बहुत सुंदर

तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है 

तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे........वाह! बहुत खूब. तहे दिल से बधाई ,आदरणीय डा.आशुतोष जी

वाह आ आशुतोष जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है। दिली मुबारक । ख़ुदा की रोज खिलाफत यूं करता है आशू

वो बदनसीब से भी प्यार बेशुमार करे ...waaah... तेरे नगर में अमीरों का बोलबाला है

तू मुझ गरीब को अपनों में क्यूँ शुमार करे ...waaah

बहुत खूब। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service