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मेरी हर निशानी मिटाने से पहले

122 122 122 122 

मेरी हर निशानी मिटाने से पहले ।
वो रोया बहुत भूल जाने से पहले ।।1

गयी डूब कश्ती यहाँ चाहतों की ।
समंदर में साहिल को पाने से पहले ।। 2

जफ़ाओं के मंजर से गुज़रा है कोई ।
मेरा ख़त गली में जलाने से पहले ।।3

वो दिल खेलने के लिए मांगते हैं ।
मुहब्बत की रस्मे निभाने से पहले ।। 4


ये तन्हाइयां हो न जाएँ सितमगर ।
चले आइये याद आने से पहले ।।6


मेरे हाल पर छोड़ दे मुझको जालिम ।
मुझे और सपने दिखाने से पहले ।।7

जमाने की तासीर समझा करो तुम ।
किसी दिल पे जादू चलाने से पहले ।।8

वो देकर गया है नई इक चुनौती ।
मेरा हौसला आजमाने से पहले ।।9

बुलन्दी पे लाने की आदत है उनकी ।
नज़र से किसी को गिराने से पहले ।।10

यकीं कैसे कर लूं मैं तुझ पर ऐ जालिम ।
सराफत का मंजर दिखाने से पहले ।।11


तस्सवुर जवाँ हो गए सब हमारे ।
तुम्हारी ग़ज़ल गुनगुनाने से पचले ।112

है भौरों को पूरी खबर अब कली की ।
हवाओं में खुश्बू समाने से पहले ।।13
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

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Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:48pm

आ0 कबीर सर सादर नमन । 

खूब सूरत इस्लाह के लिए तहेदिल से शुक्रिया सर । 

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 15, 2018 at 5:47pm

आ0 राज नावादवी साहब ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से बहुत शुक्रिया । 

Comment by राज़ नवादवी on October 15, 2018 at 4:13pm

आदरणीय नवीनमणि त्रिपाठी जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Samar kabeer on October 15, 2018 at 11:26am

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

यकीं कैसे कर लूं मैं तुझ पर ऐ जालिम ।
सराफत का मंजर दिखाने से पहले'

इस शे'र का भाव स्पष्ट नहीं है,और सहीह शब्द "शराफ़त" है ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 14, 2018 at 7:11pm

खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय त्रिपाठी जी..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 14, 2018 at 4:34pm

आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 13, 2018 at 9:45pm

आदरणीय नवीन मणि जी सादर नमस्कार, बहुत खूबसूरत अशआर हुए हैं , आनन्द आ गया , वाह वाह 

Comment by Neelam Upadhyaya on October 13, 2018 at 4:04pm

आदरणीय नवीन मणि जी, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बधाई।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 13, 2018 at 2:47pm
आदरणीय नवीन मणि जी, सादर अभिवादन!
हृदयस्पर्शी रचना! बहुत बहुत बधाई।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 13, 2018 at 12:54pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बेहतरीन गज़ल।

बुलन्दी पे लाने की आदत है उनकी ।
नज़र से किसी को गिराने से पहले ।।10

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