For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'नज़रिये के ज़रिये' (लघुकथा)

पंडित जी और मुल्ला जी दोनों शाम के वक़्त शहर के सर्वसुविधायुक्त पार्क में चहलक़दमी और कुछ योगाभ्यास करने के बाद पीपल के नीचे चबूतरे पर मूंगफली-दाने चबाते हुए स्मार्ट फोन पर एक-दूसरे को आज की न्यूज़ हाइलाइट्स सुना कर उनसे मुताल्लिक बातचीत करने लगे :


"जब मच्छर, चूहे, नेवले, सांप आदि अपने-अपने ज़रूरी काम से हमारे घरों में घुसते हैं, तो हम परेशान होकर उन पर प्राण-घातक कार्यवाही कर डालते हैं, तो मुल्ला जी हमारे ये वैज्ञानिक दूसरों के घरों में मशीनें-रोबोट आदि भेज कर वहां के दृश्य या अदृश्य जीव-जन्तुओं को भयंकर परेशान करते होंगे! है कि नईं!"
"हओ पंडित जी, बिल्कुल सही कही तुमने! वे सब ख़ुदा से दुआएं मांग कर अपनी एफआईआर तो दर्ज़ भी करते ही होंगे!"
"तभी तो हम धरती के लोगों पर बाढ़, आतंक, दुराचार जैसी कई प्रकार की प्रलयकारी कार्यवाही हो रही है लगातार! हमारे ग्रह में क्या कमी थी या है, जो हम प्रभु के दूसरे ग्रह-नक्षत्रों और एस्ट्रोइड तक में सेंधमारी करें, ऐं!"
"वोई तो हम कहते हैं कि अपनी इस ज़मीन से जुड़े रहो और इस ज़मीन और इसके लोगों की हिफ़ाज़त और ख़िदमत वाले काम करते रहो! वोई सच्ची इबादत है और इल्म का सही इस्तेमाल है!"
"मुल्ला जी, जिज्ञासु होने के जितने लाभ हैं, उससे अधिक नुकसान भी तो हैं!"
"रूहानी और दुनियावी तरक़्क़ी के नज़रियों का फ़र्क़ है दोस्त और कुछ नहीं!"
यह सुनकर पंडित जी ने मुल्ला जी के कंधे पर हाथ डालते हुए कहा - "भगवान क़सम बहुत सुख मिलता है, जब हम साथ-साथ होते हैं और तुम हमें 'दोस्त' कहते हो!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 2, 2018 at 12:00am

बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब डॉ. आशुतोष मिश्रा साहिब।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 1, 2018 at 8:38pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी सार्थक कामना करती हुई बढ़िया लघु कथा के लियव हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 30, 2018 at 9:15am

मेरी इस रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब, आ. तेजवीर सिंह साहिब, आ. समर कबीर साहिब, आ. सुशील सरना साहिब, आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा  और आदरणीय  विजय निकोरे साहिब।

Comment by Sushil Sarna on September 27, 2018 at 7:17pm

आदरणीय शेख उस्मानी साहिब, आदाब ... इस बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on September 27, 2018 at 11:24am

आपकी लघुकथा में प्राय: अच्छा संदेश होता है, या होता है तंज जो हमारी आँखे खोल देता है। हार्दिक बधाई, भाई शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी 

Comment by Samar kabeer on September 26, 2018 at 5:46pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on September 26, 2018 at 4:12pm

आदरणीय  शेख शहज़ाद उस्मानी जी, नमस्कार। बढ़िया सन्देश देती अच्छी  लघुकथा हुई  है।  बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 26, 2018 at 9:49am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बहुत सुन्दर संदेश देती बेहतरीन लघुकथा।

Comment by नाथ सोनांचली on September 25, 2018 at 8:12pm

आद0 शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन।एक बेहतरीन लघुकथा आपके हवाले से पढ़ने को मिली।  बात भी बढ़िया और सोचने वाली कहि आपने। बधाई निवेदित करता हूँ। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service