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तुम्हारा मुस्कुराना और भी बीमार कर देगा

अरकान :1222  1222  1222  1222

अजब सी कश्मकश से यकबयक दो चार कर देगा

तुम्हे पहचानने से वो अगर इनकार कर देगा

ज़माने में जियो खुल के जवानी साथ है जब तक

करोगे क्या बुढ़ापा जब तुम्हे लाचार कर देगा

हक़ीक़त सामने है आज यह जो,  देख लेना कल

सही को भी ग़लत ये सुब्ह का अखबार कर देगा

रखें कुछ भी नहीं दिल में छुपा के आप भी मुझसे

नहीं तो शक खड़ी इक बीच में दीवार कर देगा

समझना मत कभी कमज़ोर, दुश्मन को ज़माने में

अगर मौका मिला उसको पलटके वार कर देगा

हमे अब दे रहा चेतावनी ये धुन्ध का आलम

अगर अब भी न जागे ज़ीस्त ये दुश्वार कर देगा

तबीअत इश्क़ में पहले से ही नाशाद है उसकी

तुम्हारा मुस्कुराना और भी बीमार कर देगा

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 8:50pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई बहुत बड़ी वाह्ह्ह 

Comment by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 6:31pm
सुरेंद्र भाई क्या खूब ग़ज़ल हुई है... दिल से दूआएँ..
Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 6:29pm

आद0 तस्दीक अहमद खान साहब सादर अभिवादन। ग़ज़ल ओर उपस्थिति और हौसला अफजाई का हृदय तल से आभार।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 19, 2017 at 6:02pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 4:00pm

आद0 अजय तिवारी जी सादर अभिवादन।आपकी उपस्थिति और सराहना का बहुत बहुत आभार। यूँही स्नेह बनाएं रखें। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 3:58pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति मेरे लिए बहुत बड़ा आशिर्वाद है। बहुत बहुत आभार आपका। अभी अनुस्वार को दुरुस्त करता हूँ। आपके स्नेह का हृदय तल से आभार।
Comment by Ajay Tiwari on December 19, 2017 at 3:13pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 19, 2017 at 3:06pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कई शब्दों में अनुस्वार लगना थे,मगर नहीं लगे,देखियेग ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 1:47pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन।ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। आ कमियों की ओर इशारा करते तो अवश्य सुधार का प्रयास करता। सादर।

Comment by Mohammed Arif on December 18, 2017 at 7:43pm

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                               अच्छी ग़ज़ल हुई है । हर शे'र बेहतरीन । कुछ सुधार का आग्रह है जो गुणीजन बेहतर तरीक़े से बता सकेंगे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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