For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह एक समवार्णिक छंद है ,जिसमें प्रत्येक चरण में 7 वर्ण होते हैं ,जिनका क्रम 1 रगण + 1 जगण + 1 गुरू होता है।

21 21 21 2 ,21 21 21 2


चाँद खो गया कहीं रात है बता रही।
नींद में सुहासिनी स्वप्न है सजा रही।

प्रीत खो गयी कहीं बावरी पुकारती । पैर के निशान को आस से निहारती ।

तेज है हवा हुई रात भी सियाह है ।
सूझती न राह भी ,वेदना अथाह है ।

ख्वाहिशें मरी नहीं हौसला बुलंद है ।
पाप पुण्य में छिड़ा अंतहीन द्वंद्व है ।

'मौलिक व अप्रकाशित'

Views: 1109

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रशांत दीक्षित 'प्रशांत' on October 13, 2019 at 9:02pm

पाप पुण्य में छिड़ा अंतहीन द्वंद्व है ।

बहुत बहुत बधाई

Comment by sunanda jha on September 7, 2017 at 10:21pm
हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया आदरणीय सुशील सर ।आपको रचना पसन्द आयी लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by sunanda jha on September 7, 2017 at 10:19pm
हौसलाफजाई के लिए हृदय तल से आभार आदरणीय रक्ताले सर ।आदरणीय जहाँ तक मुझे याद है इस छंद में कुल चार चिर्ण होते हैं ,दो चरणों की एक पंक्ति और दो दो पंक्तियों में तुकांत सुमेलित होते ,इसलिए मैंने ऐसे ही लिखा सादर ।यति न लगाने का दोष हुआ है उसे सुधार कर रिपोस्ट करुँगी और मेरा संशय तुकांत को लेकर भी है प्लीज मेरा संशय दूर करें सादर।
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 5, 2017 at 8:22am

आदरणीया  सुनंदा झा जी सादर, समानिका छंद पर अच्छा प्रयास हुआ है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी समानिका छंद में दो-दो चरणों की तुकांतता होती है.

चाँद खो गया कही |

रात है बता रही ||
नींद में सुहासिनी |

स्वप्न है सजा रही ||

आपकी प्रस्तुति में पदांत यति भी प्रदर्शित नहीं की गई है. यतियों को यति चिन्ह द्वारा प्रदर्शित करना आवश्यक होता है. सादर.

Comment by Sushil Sarna on August 30, 2017 at 4:06pm

ख्वाहिशें मरी नहीं हौसला बुलंद है ।
पाप पुण्य में छिड़ा अंतहीन द्वंद्व है ।


वाह बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति हुई है आदरणीय सुनंदा जी। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by sunanda jha on August 30, 2017 at 3:05pm
हौसलाफजाई के लिए हृदय तल से आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 30, 2017 at 1:13pm

बहुत बढ़िया , आ० . 

Comment by sunanda jha on August 29, 2017 at 4:06pm
तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय समर सर और आदरणीय कल्पना जी हौसलाफजाई के लिए सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 29, 2017 at 1:12pm

बहुत सुंदर रचना हुई है आदरणीया सुनंदा जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Samar kabeer on August 29, 2017 at 12:37pm
मोहतरमा सुनन्दा झा साहिबा आदाब,उम्दा रचना हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service