For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog – July 2012 Archive (34)

करमजली



"करमजली"



गुलाबो की अम्मा

बचपन में ही छोड़ गयी थी

बचपन क्या १ दिन की थी

१ दिन की थी तभी

छोड़ गयी थी

इस करमजली को

ममत्व मर कैसे गया

उसकी माँ का…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 31, 2012 at 12:39pm — 1 Comment

मुझे चाहिए ऐसी ही रौशनी

"मुझे चाहिए ऐसी ही रौशनी "



लिखता हूँ

जो मन करता है

दिमाग की नशें नहीं खींचता

जोर आजमाइश कर कुछ नहीं निकलता

सिवाए तेल के

अब कोल्हू का बैल तो हूँ नहीं

मोती तो गहराई में होते हैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 30, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

स्याही

"स्याही"



पता है तुम्हे

तुम जानती हो

तुम हर्फ़ हर्फ़ की रूह हो

गलत कुछ भी नहीं

सफाह तुम बिन तन्हा है

खाली है, कोरा है

धूल जम चुकी है

डायरी में…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 30, 2012 at 1:08pm — No Comments

चाय

"चाय "



आज सुबह उठा तो सोचा चाय बना लूं

पानी लिया

श्याही सा

हर्फ़ हर्फ़

चाय के दाने

तैरने लगे

एहसासों की चीनी डाल

चढ़ा दिया पतीली को…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 29, 2012 at 9:48am — No Comments

पल्लू

"पल्लू"



मुख

मलीन हो रहा है

तेज नष्ट भ्रष्ट

मुझे छोड़ दिया न

तुमने

गोरी के पल्लू ने

धीरे से कानों में कहा

देखो सब घूर रहे हैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 3:56pm — 6 Comments

किताबें

"किताबें "

 

किताबें

खटखटा रही हैं

दरवाजे दिमाग के

लायी हैं कुछ

सवाल कुछ जबाब

छू रहीं है

दिल को…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 3:13pm — 5 Comments

मैं शून्य का उपासक हूँ

मैं शून्य का उपासक हूँ

मुझे मेले में भी सब अकेले लगते हैं

इसीलिए सबसे मिल के हँस बोल लेता हूँ

न जाने हंगाम के हंगामे में

कब मुझे मेरा इष्ट (खुदा) मिल जाए

मुकम्मल रास्ते इख्तियार करता हूँ

मंजिल तक जाने के लिए…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 2:42pm — 4 Comments

ग़ज़ल

==========ग़ज़ल==============



दिलो जिगर निसार दूं है गर हसीन आपसा

किसे न चाहिए यहाँ 'प' महजबीन आपसा



बिना मिले बिना सुने दिलो के हाल जान लूं

हुनर कमाल का लिए न दूरबीन आपसा



बदल रहे अजीब रंग बात बात पर गुमा

नहीं दिखा अभी तलक…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 27, 2012 at 1:30pm — 5 Comments

"गाँव जायेंगे "



"गाँव जायेंगे "



हरियाली ही हरियाली

चहुँ ओर

प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य

हरी कारपेट आलौकिक माधुर्य

अहा

सोच रहा हूँ

क्यूँ न इन घटाओं को छू लूं

चूम लूं इस माटी…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 3:56pm — 5 Comments

महल-अटारी

महल-अटारी

या गाय दुधारी

सम्मोहन है

खूबसूरती का

अहा

ब्यूटीफुल

वाह

काश !!!!!!

फूलते पिचकते सीने

आह…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

=============छन्द/ग़ज़ल==============

===============छन्द================

तुम राह हसीं तुम मंजिल हो, दिल सागर है तुम साहिल हो

महताब तुम्ही बनके चमको, इस चाहत का तुम हासिल हो

हद भी तुम हो तुम बेहद भी, रख शर्म हया तुम फाजिल हो

गुल हो तुम एक गुलिस्ताँ का, खुशबू बनके तुम शामिल हो



संदीप पटेल "दीप"…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 12:34pm — 1 Comment

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना

है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना



था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा, हिमालय जहाँ अब भी देता है पहरा

जहाँ चाँद बनता है बच्चों का मामा, वो भारत है मेरा वतन आशियाना



ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना

है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 25, 2012 at 12:51pm — 4 Comments

"ग़ज़ल"

"ग़ज़ल"



मंजिलों को पा रहा हूँ, दूर खुद से जा रहा हूँ

आइने से रू-ब-रू होकर के धोखा खा रहा हूँ



इश्क हूँ मैं हूँ सनम भी, हू-ब-हू हूँ औ जुदा भी

रूह बनके मैं समाया फिर भी खोजा जा रहा हूँ



दर्द दे ऐ दोस्त मुझको, गमगुसारे यार हूँ मैं

बाँट ले हर दर्द अपना, नज्म मीठी गा रहा हूँ



जिंदगी भर प्यास ले के जी रहा था दीद की मैं

आज मेरा है खुदा वो प्यार उसका पा रहा हूँ



हूँ बड़ा ही भ्रष्ट लोगो, और हूँ मैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 2:00pm — No Comments

सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में

सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में

आओ ऐसा नव दीप जलाएं भारत में



अब छेड़ प्रेम की तान मिलाएं हाथ चलो 

रख याद वतन की आन मिलाएं हाथ चलो

अब आपस का ये द्वेष भुलाएँ भारत में



सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में

आओ ऐसा नव दीप जलाएं भारत में



गंगा यमुना भी भेद नहीं करती लोगो

है सबकी पावन गोद यही धरती लोगो

ये जाति-पाति का रोग मिटाएं भारत में



सब धर्मो का इक तीर्थ बनाएं भारत में

आओ ऐसा नव…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 12:00pm — 3 Comments

"गांधी जी के बन्दर"

"गांधी जी के बन्दर"



राहों में चलते जाइए

और चलिए

थोडा और

देखिये

देखिये न

देखा !!!!!!!!!!!!!!!

राम राम !!

ये राम को क्यूँ याद किया…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 24, 2012 at 10:55am — No Comments

हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर {नज्म/गीत}

==========नज्म/गीत ==========



हर मौसम लगे बहार, तुम से मिलकर

इस दिल को मिले करार, तुम से मिलकर



पल पल भी मुश्किल से कटता है तुम बिन

इक पल भी इक साल सा लगता है तुम बिन

घडी का काँटा रुक रुक चलता है तुम बिन

सूरज चढ़ के  देर से…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 22, 2012 at 10:45am — 5 Comments

ऐ मेरे सजन

============= गीत =============



मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन

मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन



सुबहो शाम, रात दिन, याद मुझे आ रहे

वो बिताये पल सुहाने नैनों में समा रहे

खिल रहे नए पुष्प, मन की वाटिका में गा रहे

तुमसे ही चलती हैं साँसे तुमसे है जीवन, ऐ मेरे सजन



मेरी इबादत हो तुम्ही, मेरा हो पूजन, ऐ मेरे सजन

मेरा ये तन औ ये मन, तुमको है अर्पण, ऐ मेरे सजन



छा रहे है मेघ घने आपकी ही प्रीत के…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 12:28pm — 8 Comments

मुक्तिका "सावन"

मुक्तिका "सावन"

मेघों का गर्जन है सावन
बूंदों का अर्पण है सावन

हरियाली चहुँ ओर बिखेरे
कितना मन रंजन है सावन

दीनों की छत से टप टप स्वर
दुःख का अनुरंजन है सावन

शीतल बूंद गिरे जब तन पर
अतिशय तप भंजन है सावन

छेड़े धुन मल्हार पवन जब
मीठा स्वर गुंजन है सावन

"दीप" सजे सब मंदिर देखो
भोले का पूजन है सावन

संदीप पटेल "दीप"

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 9:00am — 3 Comments

मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से

मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से



मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है

मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है

मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है

मेरा साया पीछे छूटे भला कैसे मुझी से

मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से



जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से

मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से



मेरी यार वही है , दिलदार भी वही है

वो ही सावन है , औ फुहार भी वही है

वो ही…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 18, 2012 at 1:00pm — 11 Comments

"क्या कहूँ "

"क्या कहूँ "



धीरे धीरे चलती पवन

गंभीर हो

चिंतन में डूबे को

समय देख रहे हो

या प्रवाह को महसूस कर रहे हो मेरे

या पदचाप सुन रहे हो

आने वाले समय के

क्यूँ आज…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2012 at 1:38pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service