For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

======ग़ज़ल=======

 

मौसमे गुल से अदावत सीखी

कैसे ढाना है क़यामत सीखी

 

हर कोई चोर नज़र में जिनकी

उनकी नज़रों से नजारत सीखी

 

हम गरीबों के लिए दिल दौलत   

बेच के जिसको तिजारत सीखी

 

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

 

वक़्त से तुम तो हुए संजीदा

हमने बस “दीप” शरारत सीखी

 

संदीप पटेल “दीप”

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:42pm

    भाई संदीप पटेल जी बड़ी अच्छी ग़ज़ल कही बधाई।

Comment by राजेश 'मृदु' on February 26, 2013 at 11:03am

आपका हर लेखन मुझे पसंद है, आपका आभारी हूं कि अपनी रचना हमतक पहुंचाते है, सादर

Comment by Abhinav Arun on February 26, 2013 at 10:47am

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

  वाह बहुत शानदार शेर संदीप जी पूरी ग़ज़ल के भाव जिंदाबाद हैं हार्दिक बधाई आपको !!

Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:31am

बहुत खूब भई
आजकल बहुत अच्छा कर रहे हैं आप
ढेरों दाद क़ुबूल फरमाएँ

बस एक शिकायत है कि अब आपसे बहुत जियादा अपेक्षा रहती है उन पर खरे उतरने की भरसक कोशिश किया करें ...

// उसको हाथी से क्या डराते हो //

इस मिसरे पर नज़रे सानी फरमाएँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:47pm

आदरणीय विजय जी , आदरणीय शशि जी ........सादर प्रणाम

सराहना के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by Shashi Mehra on February 25, 2013 at 2:17pm

sundar

Comment by विजय मिश्र on February 25, 2013 at 11:47am

" हर कोई चोर नज़र में जिनकी

  उनकी नज़रों से नजारत सीखी | " ----- दीपजी , सुन्दर बना है .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:25am

आदरणीय श्रीराम जी , आदरणीय ब्रिजेश नीरज जी , आदरणीय आशीष भाई जी , आदरणीय गणेश बागी सर जी, आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आप सभी को यथा उचित प्रणाम सहित इस उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से धन्यवाद स्नेह बनाये रखिये

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2013 at 4:43pm
बहुत ही उम्दा गजल है,आदरणीय संदीप जी!हार्दिक बधाई।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 4:06pm

//उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी//

पूरी ग़ज़ल की जान है यह शेर,बहुत बढ़िया ख्याल संदीप भाई, जिंदाबाद ग़ज़ल, दाद स्वीकार करें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service