ग़ज़ल ..
गाल गाल गा गा ///// गा गा लगा लगा
मक्ते से पहले वाले शेर में तकाबुले रदीफ़ है लेकिन solution के आभाव में उसे ऐसे ही स्वीकार किया है.
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रंग हम जहाँ में क्या क्या मिला गए
हार कर लो खुद को सब को जिता गए.
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सब कहें पुराना किस्सा सुना गए,
गो बता के सबकुछ सबकुछ छुपा गए.
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कुछ कहार मिलकर कमरा सजा गए,
और फिर उसी में तन्हा सुला गए.
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ख़ाक सबने डाली इसका गिला करें क्या,
हाड माँस मिट्टी, मिट्टी बिछा गए.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on August 9, 2014 at 12:30pm — 11 Comments
२२/२२/२२/२
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रावण को तू राम बता,
और सहाफ़त काम बता. ...सहाफ़त-पत्रकारिता
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बिकने को तैयार हैं सब,
तू भी अपने दाम बता.
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सीख ज़माने वाला फ़न,
धूप कड़ी हो, शाम बता.
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झूठ भी सच हो जाएगा,
बस तू सुब्हो शाम बता.
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चाहे काट हमारा सर,
पर पहले इल्ज़ाम बता.
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क़ातिल ख़ुद मर जाएगा,
बस मक़्तूल का नाम बता.
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निलेश "नूर"
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 28, 2014 at 9:00am — 11 Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
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न कोई कशिश है न कोई ख़ला है,
ये दिल बावला था ये दिल बावला है.
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गुनहगार ग़ैरों को क्यूँ कर कहें हम,
वो थे लोग अपने जिन्होंने छला है.
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टटोला कई बार ख़ुद को तो पाया,
जहाँ धडकने थीं वहाँ आबला है..... आबला- छाला
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चढ़ा था नज़र में, जिगर तक न पहुँचा,
नज़र से जिगर तक बड़ा फ़ासला है.
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उठाऊंगा मुद्दा क़यामत के दिन ये,
मेरे हक़ का हर फ़ैसला क्यूँ टला है.
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समझना है मुश्किल…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on July 11, 2014 at 2:30pm — 20 Comments
२१२२/१२१२/२२
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लोग कहते हैं मोजज़ा होगा,
देखना कोई हादसा होगा.
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ख़ूब ईमानदार बनता है,
नौकरी पर नया नया होगा.
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जब कहा, सिर्फ़ सच कहा उसने,
वो कभी आईना रहा होगा.
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जिसकी सुहबत सुकून देती थी,
कैसे मानें कि बेवफ़ा होगा.
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एक मुद्दत के बाद धड़का दिल,
ज़ख्म-ए-दिल आज फिर हरा होगा.
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टूटता दिल भी एक नेमत है,
शायरी का चलो भला होगा.
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शक्ल पर कुछ नहीं लिखा उसने,
कौन कैसा है, कौन…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 9, 2014 at 8:00pm — 16 Comments
२१२२, ११ २२, ११२२, २२/ ११२
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आप का, ग़म में हमारे कभी शामिल होना,
अपनी क़िस्मत में नहीं था ये भी हासिल होना.
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ये सफ़र ज़ीस्त का था, साथ चली रुसवाई,
देखना बाक़ी रहा...राह का मंज़िल होना.
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इक सफ़र चलता रहा उसके फ़ना होने तक,
एक हसरत थी लहर की, कभी साहिल होना.
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जश्न में डूबे हुए दिल में ख़लिश थी हरदम,
रोज़ महसूस किया, याद का...महफ़िल होना.
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बोझ नाक़ाम सी हसरत का उठाकर देखो,
कितना आसान है आसान का मुश्किल…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 7, 2014 at 2:00pm — 21 Comments
आ. तिलक राज कपूर सर के मार्गदर्शन से एक ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है .. उम्मीद है आप का स्नेह प्राप्त होगा
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12122/ 12122/ 12122/ 12122
हया के मारे वो वस्ल के पल, नज़र का पर्दा गिरा रही है,
मगर ये गालों की सुर्ख़ रंगत, हर एक ख्वाहिश बता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 3, 2014 at 5:00pm — 19 Comments
मुझे वो याद करते हैं जो भूले थे कभी मुझको,
बस ऐसे ही जहां भर की मिली है दोस्ती मुझको.
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ज़माना ज़ह्र में डूबे हुए नश्तर चुभोता है,
बचाती ज़ह्र से लेकिन मेरी ये मयकशी मुझको.
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मुझे कहने लगा ख़ंजर, “मुहब्बत है मुझे तुमसे,
कि इक दिन मार डालेगी तुम्हारी सादगी मुझको.”
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ज़माने का जो मुजरिम है सज़ाए मौत पाता है,
मिली मेरे गुनाहों पर सज़ाए ज़िन्दगी मुझको.
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ख़ुदाया शह्र -ए-पत्थर में बना मुझ को तू आईना,
समझनी है अभी इन…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 29, 2014 at 6:30pm — 24 Comments
२१२२ १२१२ २२/११ २
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देख तेरा जो हाल है प्यारे
ज़िन्दगी का सवाल है प्यारे.
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लोग मुर्दा पड़े हैं बस्ती में,
बस तुझी में उबाल है प्यारे.
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आम कहता है ख़ुद को जो इंसाँ,
उसकी रंगत तो लाल है प्यारे.
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उसकी थाली में मुझ से ज़्यादा घी,
बस यही इक मलाल है प्यारे.
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हम ने अपना लहू भी वार दिया,
सबको लगता गुलाल है प्यारे.
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ख़ाक ही ख़ाक बस उड़ेगी अब,
ये हवाओं की चाल है प्यारे.
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अब तो…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on June 5, 2014 at 9:30pm — 21 Comments
२१२२, २१२२,२१२२, २१२२
क्या सुनाऊं दोस्त तुझको ज़िन्दगानी की कहानी,
चार सू तूफ़ान हैं और अपनी कश्ती बादबानी.
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जब मिले पहले पहल तुम, ख्व़ाब थे रंगीन सारे,
सुर्ख आँखें हैं मेरी उस दौर की ज़िन्दा निशानी.
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याद की इन आँधियों में दिल बिखर जाता है ऐसे,
जिल्द फटने पर बिखरती डायरी जैसे पुरानी.
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देर तक रोता रहा क़ातिल मेरा, मैंने कहा जब,
जान तू ले ले मेरी तो होगी तेरी मेहरबानी.
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खो गए है हर्फ़ सारे, बुझ गए…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 3, 2014 at 11:00am — 31 Comments
२१२२/२१२२/२१२
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जब कि हर इक फ़ैसला मंज़ूर है,
फिर भी वो कहता हमें मगरूर है.
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दोष है फ़ितरत का, ज़ख्मों का नहीं,
ज़ख्म जो प्यारा है वो नासूर है.
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ख़ासियत कुछ भी नहीं उसमे, फ़क़त,
वो मेरा क़ातिल है सो मशहूर है.
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नब्ज़ मेरी थम गयी तो क्या हुआ,
जान मुझ में आज भी भरपूर है.
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जिस्म है बाक़ी हमारे दरमियाँ,
पास है, लेकिन अभी हम दूर है.
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बात अब उनसे मुहब्बत की न कर,
लोग समझेंगे, नशे में चूर है.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 20, 2013 at 5:00pm — 27 Comments
हे ईश्वर
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जूते का फीता बांधकर जैसे ही उठा, सामने किसी अपरचित को खड़ा देख मै चौक गया. लगा की मै सालों से उसे जानता हूँ पर पहचान नहीं पा रहा हूँ. बड़े संकोच से मैंने पूछा-" आप--", मै अपना प्रश्न पूरा करता इस-से पहले ही उन्होंने बड़ी गंभीर आवाज़ में कहा -" मै ईश्वर हूँ".
उन की गंभीर वाणी में कुछ ऐसा जादू था की मुझे तुरंत विश्वास हो गया की मै इस पूरी कायनात के मालिक से रूबरू हूँ. मैंने खुद को संभाला और अपे स्वभाव के अनुरूप उन पर प्रश्नों की झड़ी लगा दी.…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on December 17, 2013 at 8:30am — 9 Comments
१२२/१२२/१२२/१२२
न समझो लड़ाई वो हारा हुआ है,
उसे हारने का इशारा हुआ है.
***
उसे चाँद तारों की संगत मिली थी,
वो आवारगी में हमारा हुआ है.
***
मरूँगा, बचूंगा, नहीं है पता ये,
मगर वार दिल पे, करारा हुआ है.
***
बचा है वो ऐसे, जिसे डूबना था,
कि फिर कोई तिनका सहारा हुआ है.
***
सिकुड़ने लगा है मेरा आसमां अब,
नज़र से नज़र तक, नज़ारा हुआ है.
***
वो आतिशफिशा था, मगर अब ये…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 9:17am — 44 Comments
ऐब खुद के ढूंढकर उनसे किनारा कर लिया,
उस जहाँ के वास्ते थोडा सहारा कर लिया.
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एक पल पर्दा हटा, आँखें खुली बस एक पल,
क्या ही था वो एक पल, क्या क्या नज़ारा कर लिया.
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दर्द हद से बढ़ गया, लेनें लगा फिर जान जब,
दर्द हम जीने लगे उसको ही चारा कर लिया.
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इक तरफ़ तो मौत थी औ इक तरफ़ बेइज्ज़ती,
और हम करतें भी क्या, मरना गवारा कर लिया.
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वो हमारे दिल को तोड़ें, था हमें मंज़ूर कब,
हमने ही खुद दिल को अपने पारा पारा कर…
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 5, 2013 at 7:00am — 17 Comments
ग़ज़ल
लोग फिर बातें बनाने आ गए,
यार मेरे, दिल दुखाने आ गए.
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जिंदगी का ज़िक्र उनसे क्या करूँ,
मौत को जो घर दिखाने आ गए.
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रूठनें का लुत्फ़ आया ही नहीं,
आप पहले ही मनाने आ गए.
...
दो घडी बैठो, ज़रा बातें करो,
ये भी क्या बस मुँह दिखाने आ गए.
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जेब अपनी जब कभी भारी हुई,
लोग भी रिश्ते निभाने आ गए.
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राह से गुज़रा पुरानी जब कभी,
याद कुछ चेहरे पुराने आ गये. …
Added by Nilesh Shevgaonkar on December 2, 2013 at 8:00am — 19 Comments
२१२२, ११२२, २२/ ११२
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बात जो तुम से निभाई न गई,
बस वही हम से भुलाई न गई.
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वो नई रोज़ बना ले दुनियाँ,
हम से किस्मत भी बनाई न गई.
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थी दरो दिल पे छपी इक तस्वीर,
जल गया जिस्म, मिटाई न गई.
....
बस मेरे हक़ में बयाँ देना था,
उन से आवाज़ उठाई न गई.
....
ख्व़ाब था दिल से मिला लें हम दिल,
आँख से आँख मिलाई न गई.
....
हम गले मिलते भला…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 21, 2013 at 7:30am — 20 Comments
२२१ २/१२२ /२२१ २/१२२
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मेरा जह्न बुन रहा है, हर रब्त रब्त जाले,
पढता ग़ज़ल मै कैसे, लगे हर्फ़ मुझ को काले.
...
मेरी धडकनों का मक़सद मेरी जिंदगी नहीं है,
के ये जिंदगी भी कर दी किसी और के हवाले.
...
मेरी नाव डूबती है, तेरे साहिलों पे अक्सर,
मुझे काश इस भँवर से तेरी आँधियाँ निकाले.
...
अगर आ सके, अभी आ, तुझे वास्ता ख़ुदा का,
मेरा दम निकल रहा है, मुझे गोद में समा ले.
...
रहा देर तक भटकता किसी छाँव के लिए वो,…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 19, 2013 at 3:25pm — 24 Comments
1212 1122 1212 22
...
किसी के दिल से, निगाहों से जो उतर जाए,
भला वो शख्स अगर जाए तो किधर जाए.
...
बहुत उड़ान ये भरता है आसमानों की,
कोई तो चाँद के दो चार पर क़तर जाए.
...
सुलग रहे है जुदाई की आग में हम तुम,
इस आरज़ू में जले है, ज़रा निखर जाए.
...
पता नहीं हैं हुई क्या हमारी मंज़िल अब,
निकल पड़े हैं जिधर लेके रहगुज़र जाए.
...
सँभालियेगा इसे आप अब नज़ाक़त से,
कहीं न दिल ये मेरा टूट कर बिखर…
Added by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2013 at 8:38am — 17 Comments
२ १ २ २ १ १ २ २ १ १ २ २, २ २ /११२
दिल के ज़ख्मों से उठी जब से गुलाबी ख़ुशबू,
शह्र में फ़ैल गई मेरी वफ़ा की ख़ुशबू.
...
ये महक, बात नहीं सिर्फ हिना के बस की,
गोरी के हाथों महकती है पिया की ख़ुशबू.
...
फूल को ख़ुद में समेटे हुए थी कोई क़िताब,
फूल से आने लगी आज क़िताबी ख़ुशबू.
...
वो कडी धूप में निकले तो हुआ यूँ महसूस,
जैसे निकली हो पसीने में नहाती ख़ुशबू.
....
चंद लम्हात गुज़ारे थे तुम्हारे नज़दीक़, …
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:41am — 17 Comments
उठेगी जब तेरी अर्थी, ये नज्ज़ारा नहीं होगा,
चिता को आग देगा, क्या, तेरा प्यारा नहीं होगा?
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हमारे आंसुओं को तुम जगह लब पर ज़रा दे दो.
यकीं जानों कि इनका ज़ायका खारा नहीं होगा.
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नज़र मुझ से मिलाकर अब ज़रा वो बेवफ़ा देखे,
फिर उसके पास मरने के सिवा चारा नहीं होगा.
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बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,
जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा.
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ठहरता ही नहीं है ये कहीं भी एक भी पल को,
समय सा कोई भी फक्कड़ या…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on November 12, 2013 at 10:48pm — 17 Comments
२१२२, २१२२, २१२
चाँद सूरज और सितारे आ गए,
ख्व़ाब में क्या क्या नज़ारे आ गए.
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ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए.
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जब नज़र की बात नज़रों नें सुनी,
दरमियाँ क्या कुछ इशारे आ गए.
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है समाई धडकनों में धडकनें,
पास वो इतने हमारे आ गए.
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जब मिला ग़म या ख़ुशी कोई मिली,
आँखों में दो अश्क़ खारे आ गए.
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मौलिक व अप्रकाशित
निलेश 'नूर'
Added by Nilesh Shevgaonkar on November 10, 2013 at 9:30pm — 22 Comments
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