Added by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 10, 2012 at 11:00am — 25 Comments
हर दिल अज़ीज़....
Added by AVINASH S BAGDE on March 10, 2012 at 10:51am — 14 Comments
तन की नक्काशी कही धोखा ना देदे
मन से पुकारे की एक आवाज की जरुरत है
साथ तेरे चलने से जले या ना जले दुनिया
पर क़यामत तक चले की तेरे साथ की जरुरत है
झुर्रियाँ बाल सफ़ेद
सब उम्र के फरेब
तन…
ContinueAdded by shashiprakash saini on March 10, 2012 at 2:00am — 7 Comments
मुझे दुनिया नहीं, मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.
जीवन पथ पर तुम्हारा स्नेह चाहिए .
प्रेम की पराकाष्ठ में ही नहीं,
कंटीले पथ पर भी तुम्हारी बाँहें…
ContinueAdded by Monika Jain on March 10, 2012 at 1:00am — 2 Comments
बज उठे नगाड़े हैं, फाग फगुन गा रहा |
सज गया पलासों से, कानन इठला रहा ||
रस भरे नज़ारे हैं, फूल महकते सभी,
भँवरे अकुलाए हैं, बाग उन्हें बुला रहा ||
गगन में गुलालों का, इंद्रधनुष भी खिला,
कारवां खुशहाली का, मंगलमय छा रहा ||
रंग बिरंग राहें भी, भूल बैर गले मिलीं,
भोर मगन वीणा ले, गीत गुनगुना रहा ||
मन मयूर नाचे है, झूम कर बसंत सा,
हबीब मस्त नैनों से, रंग है बरसा रहा…
ContinueAdded by Sanjay Mishra 'Habib' on March 9, 2012 at 2:24pm — 7 Comments
Added by satish mapatpuri on March 9, 2012 at 12:40pm — 2 Comments
जो हमारे साथ होते हैं,
Added by Yogyata Mishra on March 9, 2012 at 11:16am — 6 Comments
वो टूटा फिर से सितारा मोहब्बत की खातिर
देख लो तुम भी नजारा मोहब्बत की खातिर
आ जाओ तसव्वुर में घडी दो घडी
ये वक़्त न मिलेगा दुबारा मोहब्बत की खातिर
लोग तो इश्क में जीवन ही लुटा देते हैं
दे दो बाँहों का सहारा मोहब्बत की खातिर
छूट गई है मेरे हाथों से पतंग की डोर
थाम लो इसका किनारा मोहब्बत की खातिर
खुशियों की ये दौलत मुझसे छीन ना लेना
ग़ुरबत में जीवन है…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 9, 2012 at 9:17am — 9 Comments
डरता हूँ इस दुनिया से ,यह मुझे गुमनाम न बना दे
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on March 9, 2012 at 1:53am — 5 Comments
जिंदगानी में अगर होली, नहीं तो क्या मज़ा.
गर नशे में भाँग की गोली, नहीं तो क्या मज़ा.
मानता त्यौहार हूँ, है भजन पूजन का दिन,
पर वोदका की बोतलें खोली, नहीं तो क्या मज़ा.
टेसुओं गुलमोहरो के रंग से मत रंगिये,
दो बदन में कीचड़ें घोली, नहीं तो क्या मज़ा.
छुप के गुब्बारे भरे, रंग फेकते बच्चे यहाँ!
खुल के रंगी चुनरे-चोली, नहीं तो क्या मज़ा.
रोकने से रुक गए क्योँ हाथ तेरे रंग भर,
भाभीयो ने गालियाँ तोली, नहीं तो क्या…
Added by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 8, 2012 at 10:41pm — 6 Comments
गुरु गोविन्द द्वारे खड़े सबके लागों पायं
स्वागत प्रभु आप का ई लेओं भांग लगाये.
बूढ़ा तोता बोले राम राम भंग पी अब बौराया है
बीत गया मधुर मास खेलो होली फागुन आया है.
भांग नशा नहीं औषधि है प्रयोग बड़ा है गुणकारी
पहले इसको अन्दर…
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2012 at 9:09pm — 4 Comments
Added by dilbag virk on March 8, 2012 at 8:00pm — 4 Comments
फागुन बुला रहा मन खोले
मितवा आज किसी का होले
बौराई आमों की डालें
कोयल कुहू कुहू स्वर बोले
झूम रही खेतों में सरसों
हवा चल रही हौले…
ContinueAdded by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 8, 2012 at 8:00pm — 3 Comments
बिना भंग की मस्ती छाई रे.... होली आई रे
आओ सारे लोग-लुगाई रे..... होली आई रे
होली आई होली आई होली आई रे.....होली आई रे
सपा के सर पे ताज आज…
ContinueAdded by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 8, 2012 at 3:00pm — 1 Comment
एक बात समझ में नहीं आती है कि जब हमारी हैसियत नहीं होती तो क्यों दूसरे परिवार की प्यारी सी बिटिया को अपने घर में बहू बनाकर लाते है. क्या हम इतने निकम्मे, लूले-लंगडे हो गए है कि बेटे व परिवार की सुख-सुविधा की वस्तुओं को एकत्र करने की नियत के साथ दूसरे से धन ऐंठने के लिए उनकी प्यारी सी बिटिया को विवाह मंडप में अग्नि के सात फेरों के बाद अपने घर ले आते है. फिर उस परिवार की मजबूरी बन जाता है कि वह अपनी बिटिया की खुशी के लिए वह सब कुछ करे, जो हम चाहते है. क्योंकि हम तो पहले से ही इतने कंगाल हैं,…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 8, 2012 at 12:04pm — 3 Comments
नीला रंग अम्बर पे धरा हरियाली छायी है
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 7, 2012 at 7:26pm — 1 Comment
Added by Sulabh Jaiswal on March 7, 2012 at 5:08pm — 2 Comments
आपको और आपके परिवार को रंगों के त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
हम खुशनसीब है कि जिंदगी ने हमको अपने गिले-शिकवे दूर करने का एक और मौका दिया है। माना जाता है कि रंगो की होली में गिले-शिकवे बह जाते है। भले ही दिखावे के लिए ही सही, लोग एक-दूसरे के गले मिलकर होली की बधाई के साथ-साथ अपने को पाक-साफ बताते है, तो इसमें क्या बुरा है। आखिर होली का मकसद ही है बैर-भाव भुला कर प्यार से एक-दूसरे के गले लग जाना। वैसे भी दिखावे का जमाना है, तो दिखाने के लिए ही सही, कुछ बुराई तो कम होगी ही हमारे…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 6, 2012 at 9:43am — 1 Comment
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2012 at 3:50pm — 11 Comments
हर सोच, हर कल्पना, हर विचार पर हजारों पन्ने लिखे जा चुके है. कुछ लोगों की दुष्ट मानसिकता की बदौलत आज तक भी हम गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह नहीं उबर पाए है. समय के साथसाथ गुलामी की परिभाषा भी बदल गई. पहले विदेशियों का कब्जा होने से हम गुलाम थे. उनको खदेड़ा, तो अब यहां धार्मिक, राजनैतिक ताकतों के गुलाम हो गए. जो इनकी सीमाओं से बाहर रहने का साहस दिखाए, वह समाज के अयोग्य नागरिकों में शामिल कर दिया जाता है. बहरहाल बात यह है कि कुछ लोग अपने जीवनकाल में वह मुकाम हासिल करते है, जिनके आचरण को आदर्श…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 5, 2012 at 1:32pm — 3 Comments
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