For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली एक चुनौती

आपको और आपके परिवार को रंगों के त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

हम खुशनसीब है कि जिंदगी ने हमको अपने गिले-शिकवे दूर करने का एक और मौका दिया है। माना जाता है कि रंगो की होली में गिले-शिकवे बह जाते है। भले ही दिखावे के लिए ही सही, लोग एक-दूसरे के गले मिलकर होली की बधाई के साथ-साथ अपने को पाक-साफ बताते है, तो इसमें क्या बुरा है। आखिर होली का मकसद ही है बैर-भाव भुला कर प्यार से एक-दूसरे के गले लग जाना। वैसे भी दिखावे का जमाना है, तो दिखाने के लिए ही सही, कुछ बुराई तो कम होगी ही हमारे मन से। कुछ तो मन हल्का होगा। यह सच बात है कि हमारे दिल में सालों से घर बनाए बैठी दुश्मनी या बुराई होली पर सिर्फ एक बार गले मिलने से दूर नहीं हो सकती है। लेकिन छोटी-छोटी नाराजगी तो दूर हो ही सकती है। जब छोटी-छोटी नाराजगी दूर होना शुरू होती है तो बड़ी-बड़ी दुश्मनी के खत्म होने का रास्ता दिखने लगता है। दूसरों के गले मिलते हुए इतना तो ध्यान रखना ही होगा कि शब्दों की मिठास के बीच दिल में कालिख लिए कोई बेवकूफ न बना दें। एक मजेदार बात यह है कि होली के रंग हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति भी खड़ी कर देते है कि रंग-बिरंगे, काले-पीले चेहरों के बीच ही हमको अपनो की तलाशना पड़ता है। वो अपने जो हमको जिंदगी के खुशनुमा रास्तों पर चलने के लिए प्रेरित करते है। जिनके प्यार की रोशनी में हम कदम-दर-कदम अपने जीवन सफर पर चलते रहते है। यूं तो हर शख्स अपने चेहरे पर मुखौटा लगाकर हमको अपना बताता है, यह हमारी काबिलियत है कि हम उसको पहचान पाते है या फिर उसके धोखे में आ जाते है। बस यही कामना है कि मेरी भी कुछ बुराई अपने साथ बहा ले जाए इस बार रंगों की होली।
एक बार पुनः आपको और आपके परिवार को रंगों के त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

Views: 318

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 6, 2012 at 9:42pm

यूं तो हर शख्स अपने चेहरे पर मुखौटा लगाकर हमको अपना बताता है, यह हमारी काबिलियत है कि हम उसको पहचान पाते है या फिर उसके धोखे में आ जाते है। बस यही कामना है कि मेरी भी कुछ बुराई अपने साथ बहा ले जाए इस बार रंगों की होली।

बहुत सुंदर विचार रखे है, आदरणीय हरीश जी, बधाई, शुभ होली.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
5 hours ago
Aazi Tamaam posted blog posts
19 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service