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आज फिर कामिनी बाहर गली में आकर चिल्ला रही थी 'कोई भी नही बचेगा, सब को सजा मिलेगी. कानून किसी को नही छोड़ेगा.' सभी अपने अपने घरों से झांक रहे थे. उसका भाई इंदर उसे समझा बुझा कर भीतर ले जाने का प्रयास कर रहा था.
अपनी बहन की इस दशा से वह बहुत दुखी था. बड़ी मुश्किल से समझा बुझा कर वह उसे भीतर ले गया. कुछ देर तक अपने अपने घरों से बाहर झांकने के बाद सब भीतर चले गए.
कभी कामिनी भी एक सामान्य लड़की थी. एक कंपनी में नौकरी करती थी. कुछ ही समय में विवाह होने वाला था. अपने आने वाले भविष्य…
ContinuePosted on August 8, 2016 at 10:30am — 4 Comments
मानव समाज में पारिवारिक इकाई के अंतर्गत बच्चे युवा एवं बुजुर्ग तीन पीढ़ियों के लोग आते हैं। इन तीनों पीढ़ियों में आयु के अंतर के कारण सोंच में भी अंतर होता है। अक्सर सोंच का यह अंतर आपसी टकराव का कारण बन जाता है।
सोंच में अंतर स्वाभाविक है। हर समय का…
ContinuePosted on May 5, 2013 at 11:00am — 11 Comments
वर्तमान समय में हमारे बच्चों को मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं। इनमे सबसे प्रमुख है टी . वी . जिस पर प्रसारित होने वाले कार्टून बच्चों को बेहद पसंद आते हैं। पर बच्चे इनसे क्या सीखते हैं यह सोंच का विषय है।
कई कार्टून चरित्र जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं जैसे स्पाइडरमैन, बैटमैन, बेन टेन इत्यादि। बच्चे इन चरित्रों से बहुत…
ContinuePosted on April 25, 2013 at 11:30am — 7 Comments
हम हैं कौन, हमारी वास्तविक पहचान क्या है, क्या हम महज हाड़ मांस से बने शरीर मात्र हैं या इससे भी अलग हमारी कोई पहचान है।
ये प्रश्न सृष्टि के…
ContinuePosted on April 21, 2013 at 11:30am — 8 Comments
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आदरणीय, आशीष कुमार त्रिवेदी जी, सुप्रभात! यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि आप भी लखनउ में रहते हैं। मैं भी गोमती नगर विस्तार, सहारा हास्पिटल के पीछे रहता हूं। मोबाइल नं- 9415541353 जी! आपको समय मिले तो बातें करते हैं। वैचारिक कथानको पर पूर्व में चर्चा एवं आपकी सहमत के उपरान्त ही ब्लाग पोस्ट किया करूं। आदर सहित,
आदरणीय त्रिवेदी जी , मैं मॉरिशन हूँ .मेरी शादी लखनऊ में हुई है . पति का नाम डॉक्टर
शरदिंदु मुकर्जी है.इन्हीं के बदौलत मैं अच्छी हिंदी बोलने की कोशिश करती हूँ .मेरी भाषा
french है.अब मैं हिंदी में लेखन करती हूँ.आशा है आपसे भी बहुत कुछ सिखने को मिलेगा
धन्यवाद
त्रिवेदी जी नम्मस्कार,आपका मित्र के रूप में स्वागत है. क्या आप लखनऊ में रहते हैं.
आदरणीय त्रिवेदी जी
सादर अभिवादन
मित्र रूप में चयन हेतु आभार
आशा है ये स्नेह स्थायी होगा.
धन्यवाद
मित्रता का प्रस्ताव स्वीकारते हुए मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है, श्री आशीष त्रिवेदी जी,आशा है हम आपस में विचारो के आदान प्रदान से बौद्धिक चिंतन की और अधिक ज्ञान अर्जित कर पायेंगे, स्वागत है आपका| हार्दिक शुभ मंगल कामनाए -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला