यह रचना मेरे छोटे से (उम्र से तो २८ साल का है पर लगता मेरे बेटे जैसा ही है), बहुत प्यारे से भाई के लिए लिखी है, वो दिल्ली में रहता है और उससे मिले करीब ढाई साल हो गए हैं... मेरे दो भाई हैं एक बड़ा और एक छोटा, इश्वर करे सब को ऐसे भाई मिलें
शानू के हाथों में तेरे हाथ नज़र आते हैं,
मगर तेरे हाथों को हाथ में लिए बड़ा वक़्त हो गया
स्काइप पे तुझे देख-सुन लेती हूँ,
पर तुझे गले से लगाए बड़ा वक़्त हो गया
कोई ख़ास बात होती है तो ही…
ContinuePosted on May 31, 2011 at 9:00pm
Posted on May 30, 2011 at 9:30pm — 2 Comments
Posted on May 27, 2011 at 6:58pm
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मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
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