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Harash Mahajan
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Harash Mahajan commented on Harash Mahajan's blog post मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा
"आदरनीय समर कबीर सर,मैं खुद भी असमंजस में था कि ग़ज़ल पोस्ट करूँ या नहीं । संतुष्टि नहीं थी लेकिन पोस्ट कर दी ग़ज़ल सोचा कि आपके मार्गदर्शन से इसे निखारने की कोशिश करूँगा । शायद ये कृति अपना कुछ अच्छा रूप ले ले ।आपके दिए सुझाव पर फिर से कोशिश करता हूँ…"
Sep 21, 2020
Samar kabeer commented on Harash Mahajan's blog post मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा
"जनाब हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, लेकिन ग़ज़ल अभी समय चाहती है । 'मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा, निगाहों से तुम भी नशा कीजियेगा' मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है, दूसरी बात ये कि महब्बत की इंतिहा नहीं होती, ग़ौर फ़रमाएँ…"
Sep 21, 2020
Harash Mahajan commented on Harash Mahajan's blog post मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा
"आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और होंसिला अफ़ज़ाई  के लिये बेहद शुक्रिया जनाब। सादर ।"
Sep 20, 2020
Harash Mahajan commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (मैं जो कारवाँ से बिछड़ गया)
"आदरणीय अम्मीरुद्दीन अमीर जी अच्छी पेशकश के लिए वहुत बहुत बधाई । सादर ।"
Sep 20, 2020
Sushil Sarna commented on Harash Mahajan's blog post मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा
"वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय हार्दिक बधाई सर"
Sep 20, 2020
Harash Mahajan commented on सालिक गणवीर's blog post कल कहा था आज भी कल भी कहो..( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)
"आदरणीय सालिक गणवीर जी आदाब । अच्छी पेशकश हेतु बधाई स्वीकार करें । सादर ।"
Sep 19, 2020
Harash Mahajan commented on Sushil Sarna's blog post हिन्दी दिवस पर कुछ दोहे :
"आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन । बहुत ही सुंदर दोहों का सृजन । सादर ।"
Sep 17, 2020
Harash Mahajan commented on Neeta Tayal's blog post अब तो जीवन ऑफलाइन हो जाए
"आदरणीय नीता तयाल जी आदाब । अच्छे भाव लिए आपकी रचना । बहुत वहुत बधाई । कुछ शब्दों में टंकण पर ध्यान दीजियेगा । जैसे...हँसते हँसते/ख़ुशियाँ/यूँही/दुनियाँ ऐसे ही कुछ और । सादर ।"
Sep 16, 2020
Harash Mahajan commented on Harash Mahajan's blog post मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा
"मेरी आरज़ू, बंदगी तुम समझ कर, अदा फिर उम्मीदे वफ़ा कीजियेगा ।"
Sep 16, 2020
Harash Mahajan commented on Harash Mahajan's blog post यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा
"आदरणीय समर कबीर जी आपके कीमती वक़्त और मार्ग दर्शन की हमें हमेशा से दरकार रही है । आपकी की हुई तनक़ीद से बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है । बहुत बहुत शुक्रिया । सादर ।"
Sep 16, 2020
Samar kabeer commented on Harash Mahajan's blog post यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा
"मेरे कहे को मान देने के लिए आपका धन्यवाद ।"
Sep 16, 2020
Harash Mahajan posted blog posts
Sep 16, 2020
Harash Mahajan commented on Harash Mahajan's blog post यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा
"आदरणीय समर कबीर जी आदाब । इंगित शेर पर आपका मार्गदर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण रहा । उचित यही लगा:: याद कर कर के वो तोड़ी हुई क़समें अपनी, आज अश्कों के समंदर में नहाया होगा । इन्हीं मिसरों के साथ अंतिम रूप से पोस्ट करता हूँ । सादर ।"
Sep 16, 2020
Samar kabeer commented on Harash Mahajan's blog post यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा
"'याद क़समें न बिछुड़ने की वो आई होंगी,फिर वो अश्क़ों के समंदर में नहाया होगा' उचित लगे तो इस शैर को यूँ कर सकते हैं:- 'याद कर कर के वो तोड़ी हुई क़समें अपनी आज अश्कों के समंदर में नहाया होगा'"
Sep 16, 2020
Harash Mahajan commented on Harash Mahajan's blog post यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा
"आदरणीय समर कबीर जी सादर अभिवादन । आपके स्नेह और मार्गदर्शन से बहुत कुछ मिला है सर । आपके अंकित शेर पर मुझे भी ऐसा लगा था पर आपने उस ओर इशारा किया तो अब ज़रूरी लगा । इस शेर पर एक कोशिश और की है ज़रा नज़रें इनायत कीजियेगा । सादर । याद क़समें न बिछुड़ने…"
Sep 16, 2020
Samar kabeer commented on Harash Mahajan's blog post यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा
"बाक़ी अशआर अब ठीक हैं,लेकिन 'क़समें खाईं थीं बिछुड़ कर न वो रोयेगा कभी,आज अश्क़ों के समंदर में नहाया होगा' इस शैर के सानी मिसरे का ऊला से रब्त पैदा करने का प्रयास करें । "
Sep 16, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
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Delhi
Profession
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About me
GhazleN padne our kahne ka shouk mujhe is our prerit karta raha hai....

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मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा

122 122 122 122

***

मुहब्बत की जब इंतिहा कीजियेगा,

निगाहों से तुम भी नशा कीजियेगा ।

सफ़र दिल से दिल तक लगे जब भी मुश्किल ,

दुआओं की फिर तुम दवा कीजियेगा ।

नज़र ज़ुल्फ़ों पे गर टिकें ग़ैरों की तो,

यूँ आँखों में नफ़रत अदा कीजियेगा ।

मुझे सोच हों चश्म नम तो समझना,

ये जज़्बात अपने अता कीजियेगा ।

ये है इल्तिज़ा मर भी जाऊँ तो इतनी,

ख़ुदा से न तुम ये गिला कीजियेगा ।

मेरी आरज़ू बंदगी तुम…

Continue

Posted on September 16, 2020 at 12:00pm — 5 Comments

यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा

2122 1122 1122 22

***

यार जब लौट के दर पे मेरे आया होगा,

आख़िरी ज़ोर मुहब्बत ने लगाया होगा ।

याद कर कर के वो तोड़ी हुई क़समें अपनी,

आज अश्कों के समंदर में नहाया होगा ।

ज़िक्र जब मेरी ज़फ़ाओं का किया होगा कहीं,

ख़ुद को उस भीड़ में तन्हा ही तो पाया होगा ।

दर्द अपनी ही अना का भी सहा होगा बहुत,

फिर से जब दिल में नया बीज लगाया होगा ।



जब दिया आस का बुझने लगा होगा उसने,

फिर…

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Posted on September 12, 2020 at 6:00pm — 12 Comments

जाने क्यूँ आज है औरत की ये औरत दुश्मन

2122 1122 1122 22(112)

जाने क्यूँ आज है औरत की ये औरत दुश्मन,

पास दौलत है तो उसकी है ये दौलत दुश्मन ।

दोस्त इस दौर के दुश्मन से भी बदतर क्यूँ हैं,

देख होती है मुहब्बत की हकीकत दुश्मन ।

माँग लो जितनी ख़ुदा से भी ये ख़ुशियाँ लेकिन,

हँसते-हँसते भी हो जाती है ये जन्नत दुश्मन ।

मैं बदल सकता था हाथों की लकीरों को मगर,

यूँ न होती वो अगर मेरी मसर्रत दुश्मन ।

ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर जहॉं,

'हर्ष' हो…

Continue

Posted on September 8, 2020 at 11:00pm — 11 Comments

हर कली को अजब शिकायत है,

2122 1212 22
*************

हर कली को अजब शिकायत है,
इश्क़ करना भ्रमर  की आदत है ।

इश्क़ दरिया है उर समंदर भी,
जब तलक़ मुझमें तू सलामत है ।

गम से उभरा तो मैंने जाना ये,
गर है साया तेरा तो ज़न्नत है ।

किसको किसके लिए है हमदर्दी,
हर तरफ फैली बस अदावत है ।

जब धुआँ अपने घर से उट्ठे तो,
कर यकीं रिश्तों में सियासत है

************

मौलिक एवं अप्रकाशित

हर्ष महाजन

Posted on May 3, 2018 at 2:30pm — 12 Comments

Comment Wall (7 comments)

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At 11:23pm on September 3, 2015, kanta roy said…

महीने का सक्रिय सदस्य बनने के लिये ढेरों बधाई आपको आदरणीय हर्ष महाजन जी ।

At 10:56am on August 17, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

हर्ष महाजन जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका सहयोग इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 9:26am on August 6, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

aapko mitrkeroop mepakarmujhesamman mila . saadar

At 5:29pm on July 28, 2015, Rahul Dangi Panchal said…
जी अवश्य
At 3:56pm on July 28, 2015, Rahul Dangi Panchal said…
बहुत बहुत स्वागत आदरणीय हर्ष महाजन जी
At 11:49am on August 15, 2012, Ranveer Pratap Singh said…

जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें...

At 12:17pm on July 20, 2012, Albela Khatri said…

आपका बहुत बहुत स्वागत है हर्ष महाजन जी, आप एक ऐसे परिवार में शामिल हो गये हैं जहाँ घर के सभी सदस्य सही काम करने के लिए कटिबद्ध है .प्रशंसा और लताड़ दोनों ही यहाँ सर्वमान्य हैं . आपको यहाँ आ कर अच्छा लगेगा, ऐसा मेरा विश्वास है सादर

 
 
 

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