आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 51 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-52
विषय - "डोर/धागा"
आयोजन की अवधि- 13 फरवरी 2015, दिन शुक्रवार से 14 फरवरी 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 13 फरवरी 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालिका
डॉo प्राची सिंह
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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आ० आदरणीय
आप जैसे गुनी से संस्तुति मिलना अहोभाग्य है i सादर i
इस भजन ने आनंद-विभोर कर दिया आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी। प्रणाम स्वीकारें।
आ० अनुज
आपकी संस्तुति से हृदय को अपूर्व शांति मिलती हुई i सादर i
आ० दिनेश जी
शत शत आभार i सादर i
आ. डॉ.गोपाल नारायन जी सादर,
प्रदत्त विषय को साकार करती दोनों पदावली अति सुन्दर है. गुनगुनाकर सचमुच आनंद आ गया आदरणीय
सादर बधाई.
आदरनी सत्य नारायन जी
आपके स्नेह का आभारी हूँ सादर i
प्रभू जी मै लोटा तू डोर .........
क्या कहने आदरणीय, लोटा और डोर को प्रतिक बनाना मन मुग्ध कर गया, दोनों पद सुन्दर और भावयुक्त हुए हैं बहुत बहुत बधाई.
गुरुदेव आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर गज़ब की रचनात्मकता, बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई ! सादर
अगणित रूप तुम्हारे जग में मानव के मनजात
हिय अन्वेषण किया न जिसने अंत समय पछतात
तू गतिमान प्रभंजन तो मैं श्याम घटा घनघोर I प्रभू जी 0 I..........बहुत मन रमणीय रचना.
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त विषय पर कुछ हट के एक सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने. बहुत बधाई. सादर.
पाँच दोहे
देते जो हक़ से अधिक,कर्त्तव्यों पर जोर,
वे ही कसकर थामते, संबंधों की डोर |
मानव के अब भूख का, रहा न कोई छोर
टूट रही हर रोज ही, सम्बन्धों की डोर ||
इक धागें में बांधले, पूरा घर परिवार,
सदा उसी परिवार में, सुखी रहे संसार |
एक स्वाति की बूँद से, मिटे प्यार की प्यास,
राखी धागा प्रेम का, बहना का विश्वास ||
सीकें बन्धी डोर से, देती फर्श बुहार,
बिखर गई तो मान्लों,होगी निश्चित हार |
(मौलिक व अप्रकाशित)
प्रदत्त विषय को सार्थक करते दोहे ..अतिसुन्दर
मानव के अब भूख का, रहा न कोई छोर----इसे ----मानव के अब स्वार्थ का ---करें तो ज्यादा स्पष्टता आएगी
एक स्वाति की बूँद से, मिटे प्यार की प्यास,
राखी धागा प्रेम का, बहना का विश्वास ||---बहुत खूबसूरत
हार्दिक बधाई आपको आ० लक्ष्मण रामानुज जी
आवश्यक सूचना:-
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