For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 24592

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. दण्डपाणि जी मैं आ. निलेश शेवगाँवकर जी की बात से सहमत हूँ। बहरहाल, सहभागिता हेतु बधाई

आदरणीय दंडपाणि जी आदाब,

                        ग़ज़ल के प्रयास हेतु हार्दिक बधाई । गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें ।

आ. दण्डपाणी जी,
आप को और अभ्यास की आवश्यकता  है...
ढेरों ग़ज़लें पढ़ें जिस से ग़ज़ल  आप में समा सके 
सहभागिता के लिए बधाई 

आदरणीय दण्डपाणि जी बेहतरीन और सफल प्रयास के लिए दिल से बधाई

आद० दण्डपाणी जी दूसरी ग़ज़ल के लिए बधाई लीजिये बाकी गुणीजन कह ही चुके हैं संज्ञान में लें 

आदरणीय दण्डपाणि जी, आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। कृपया गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें। सादर।

भाई दण्डपाणी नाहक जी, ग़ज़ल अभी बहुत मेहनत मांग रही है. सहभागिता हेतु अभिनन्दन स्वीकार करें. 

आयोजन में आपकी सहभागिता भली लगी आदरणीय दंडपाणि नाहक जी. 

आपका अभ्यास बना रहे. 

शुभ-शुभ

आदरणीय दण्डपाणि नाहक साहब 

अच्छे अशआर कहे हैं ...मश्क़ करते रहें ..और निखार आएगा...बहरहाल मेरी तरफ से ढेर सारी दाद और मुबारकबाद|

आदरणीय दण्डपाणि जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई आपको, सहभागिता हेतु आभार।


*दूसरी प्रस्तुति


ओ बी ओ पर जमा गया है मुझे
पक्का शायर बना गया है मुझे।१।


नभ  में  तारा  सा  उभार गया
बुलबुला कब कहा गया है मुझे।२।


क्या तुझे दी समर ने सीख न पूछ
सब्र करना  तो  आ  गया  है मुझे ।३।

आईना तो  नहीं  हुआ  हूँ मगर
नस्ब फिर भी करा गया है मुझे।४।


लाख कोशिश उसी ने की है तभी
इल्म थोड़ा  तो  आ  गया  है मुझे।५।


नब्ज  मेरी  उसी के हाथ रही
तरबियत दे बचा गया है मुझे।६।


रस्म हर इक निभा रहा हूँ यहाँ
हीन  थोड़े  कहा  गया  है मुझे।७।

मुक्त मन से पढ़ा सबक वो सभी
शायरी नित सिखा गया है मुझे।८।


यत्न कर यश मिलेगा खूब कभी
राज  ये  भी  बता  गया  है मुझे।९।

शख्सियत क्यों न उनके जैसी करूँ
ताज  उनका  जो भा  गया  है  मुझे।१०।


ब्याज से बढ़ असल है यार जहाँ
दीन  रख  ये  बता  गया  है मुझे।११।

           और ये दुमछल्ले

सबसे परिवार में दुलार मिला
मान इतना दिला गया है मुझे ।१२।


रोज  मैं-मैं  की  रट  से दूर हुआ
हमपे अब नाज आ गया है मुझे।१३।

मौलिक/अप्रकाशित


नस्ब = स्थापित
तरबियत=शिक्षा दीक्षा

...........

मित्रों,

मेरी दूसरी प्रस्तुति मूलतः पहले लिखनी शुरू हुई थी  , पर शुरुआत किस अंदाज में करूँ । सूझ नहीं रहा था । अंततः मार्गदर्शक भाई समर जी के अंदाज को ही अपनाया ।

यह प्रस्तुति शताब्दी समारोह और भाई समर जी के सम्मान में कही गयी है । हर मिसरे के प्रथम अक्षर मिलाकर देखिये क्या हासिल होता है । इसे बेहतरीन करने हेतु खुले मन से मार्गदर्शन करें ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सुझाव के लिए हार्दिक आभार लेकिन…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .सागर
"अच्छे दोहें हुए, आ. सुशील सरना साहब ! लेकिन तीसरे दोहे के द्वितीय चरण को, "सागर सूना…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कामरूप छंद // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"सीखे गजल हम, गीत गाए, ओबिओ के साथ। जो भी कमाया, नाम माथे, ओबिओ का हाथ। जो भी सृजन में, भाव आए, ओबिओ…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion वीर छंद या आल्हा छंद in the group भारतीय छंद विधान
"आयोजन कब खुलने वाला, सोच सोच जो रहें अधीर। ढूंढ रहे हम ओबीओ के, कब आयेंगे सारे वीर। अपने तो छंदों…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion उल्लाला छन्द // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"तेरह तेरह भार से, बनता जो मकरंद है उसको ही कहते सखा, ये उल्लाला छंद है।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion शक्ति छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"शक्ति छंद विधान से गुजरते हुए- चलो हम बना दें नई रागिनी। सजा दें सुरों से हठी कामिनी।। सुनाएं नई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Er. Ambarish Srivastava's discussion तोमर छंद in the group भारतीय छंद विधान
"गुरुतोमर छंद के विधान को पढ़ते हुए- रच प्रेम की नव तालिका। बन कृष्ण की गोपालिका।। चल ब्रज सखा के…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion हरिगीतिका छन्द के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभ in the group भारतीय छंद विधान
"हरिगीतिका छंद विधान के अनुसार श्रीगीतिका x 4 और हरिगीतिका x 4 के अनुसार एक प्रयास कब से खड़े, हम…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion गीतिका छंद in the group भारतीय छंद विधान
"राम बोलो श्याम बोलो छंद होगा गीतिका। शैव बोलो शक्ति बोलो छंद ऐसी रीति का।। लोग बोलें आप बोलें छंद…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service