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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आ० विवेक जी खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिए बधाई स्वीकार करें

आदरणीय विवेक राज साहब ...इस मुरस्सा कलाम के लिए ढेर सारी दाद ..एक एक शेर नगीने की तरह जड़ा हुआ ...बहुत खूब|

बहुत ही उम्दा ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, सभी अशआर अच्छे लगें, बधाई आदरणीय विवेक राज़ जी.

2122    1212              112/22

फख्र से फिर छला गया है मुझे। 
ज़ह्र बेशक दिया गया है मुझे।।
.
वो सियासत में दांव चलचल कर। 
मक्तलों तक बुला गया है मुझे।।
.
फिर मिटाने की साजिशें लेकर। 
वो गले से लगा गया है मुझे।।
.
कर रहा बेमिसाल तकरीरें। 
रफ़्ता रफ़्ता जो खा गया है मुझे।।
.
जिंदगी एक तिश्नगी भर है। 
वो हकीकत बता गया है मुझे।।
.
छेड़िये हक़ की बात मत यारो। 
फैसला वह सुना गया है मुझे।।॰
.
फ़िक्र का जिक्र करके ज़ालिम तो। 
बेख़ुदी में जला गया है मुझे।।
.
हूँ मैं खामोश ज़ुल्म पर कितना। 
सब्र करना तो आ गया है मुझे।।
.
अब न कीजै यकीन जुमलों पर। 
वक्त इतना सिखा गया है मुझे।।
.
तुम तरक्की पे मत करो चर्चा। 
कायदा वो पढ़ा गया है मुझे।।
.
तख़्त देते हैं मन्दिरो मस्जिद। 
आजकल कौन पूछता है मुझे।।

           नवीन मणि त्रिपाठी
          मौलिक अप्रकाशित

अच्छा प्रयास है.... और मेहनत करके सीखना होगा !!!

आदरणीय अजीत शर्मा आकाश जी, आपने सही कहा कि मेहनत कर सीखना होगा, कुछ आप इस्लाह करते तो बढ़िया होता। 

आदाब। मापनी और अंत में अपना नाम लिखने की आवश्यकता नहीं है। बहुत बढ़िया प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन कुमार त्रिपाठी साहिब।

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मक्तलों तक बुला  गया  है  मुझे'

इस मिसरे में 'मक्तलों' को "मक़तलों' कर लें ।

' कर   रहा    बेमिसाल   तकरीरें'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।

' छेड़िये  हक़  की  बात  मत  यारो'

इस मिसरे में 'छेड़िये' की जगह "छेड़ना"शब्द उचित होगा ।

तख़्त   देते   हैं  मन्दिरो   मस्जिद ।
आजकल  कौन  पूछता  है  मुझे'

इस शैर में रदीफ़ बदल गई है ।

कृपया दुसरो की ग़ज़लों पर अपनी प्रतिक्रया अवश्य दें ।

//कृपया दुसरो की ग़ज़लों पर अपनी प्रतिक्रया अवश्य दें ।//

आ० समर कबीर जी, अपने नवीन भाई भी उसी रेजीमेंट से हैं जिसका नारा है "दागो और भागो।" 

बजा फ़रमाया ।

You mean D&B :-))))))))))

जनाब नवीन मणि साहिब, अच्छे अश्आर निकाले आपने मुबारकबाद क़बूल करें,,,

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"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
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"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
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