For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 24406

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हार्दिक आभार आ.अशोक कुमार जी। इनायत।

आदरणीय दिनेश कुमार जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । मतला  गिरह सब बढ़िया 

आदरणीय दिनेश जी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद कबूल कीजिये 

मैं हूँ आवाज़ आपके दिल की
ग़ौर से कब सुना गया है मुझे.....यह शेर विशेष रूप से पसंद आया|

//आसमाँ से गिरा गया है मुझे
मेरा अभिमान खा गया है मुझे// बहुत सुंदर मतला हुआ है।  

//शुक्र है ! आइना दिखा कर वो
मेरी कमियाँ बता गया है मुझे// बहुत ही ईमानदाराना शेअर है, ऐसी बातों को स्वीकार करना हरेक के बूते की बात नही। 

//कर के वादा तेरा मुकर जाना
दुनियादारी सिखा गया है मुझे// बहुत खूब. 

//मैं हूँ आवाज़ आपके दिल की
ग़ौर से कब सुना गया है मुझे// लजवाब शेअर, दिल का दर्द उभर कर शब्दों का रूप अख्तियार कर गया है।   

//अश्क पीना भी सीख ही लूँगा
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"// बेहद उम्दा गिरह, वह वाह वाह। 

//मुझमें शुहरत की चाह बाक़ी है
क्यों कलन्दर कहा गया है मुझे// ये शेअर भी अच्छा है। 

//कर के तारीफ़ वो मेरी झूठी

ज़ह्र धीमा चटा गया है मुझे  // इस ज़ह्र से बचने में ही भलाई है। इस उम्दा ग़ज़ल हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें। 

आदरणीय दिनेश जी बेहतरीन गजल के लिए बधाई। हर शेर लाजवाब है।

बहुत अच्छी  ग़ज़ल कही है दिनेश भाई मुबारकबाद पेश करता हूँ |

वाह, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है आ दिनेश कुमार साहब, आखिरी शेर तो कमाल का है. शेर दर शेर मुबारकवाद कुबूल कीजिये

वाह! शानदार ग़ज़ल हुई है| हार्दिक बधाई आपको आदरणीय दिनेश जी| 

आदरणीय दिनेश जी, बहुत अच्छे अशआर हुए है. आख़िरी शेर अपने यथार्थपरकता के लिए ख़ास तौर पर अच्छा लगा. हार्दिक बधाई.

आदरणीय दिनेश कुमार जी, सादर अभिवादन।

मतले सहित लगभग सभी अशआर अच्छे हुए हैं।

आपकी ग़ज़लों में जो कशिश और पैनापन होता है, इस ग़ज़ल में उसकी कमी मुझे महसूस हुई है। अन्यथा न ले, मैं आपका बड़ा प्रशंसक हूँ इसलिए आपसे उम्मीदें भी जियादा है। मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

इस तरह देखता गया है मुझे
यार दिल की जता गया है मुझे

तेरी नज़रों से दिल में आना था
ये सफ़र ही थका गया है मुझे

इसने मरहम कभी लगाया ना
वक़्त बस मारता गया है मुझे

रोटियाँ खाई जब पसीने की
स्वाद नमकीन भा गया है मुझे

क्या मैं गाड़ी नहीं चलाऊँगा?
एक चालान आ गया है मुझे

चार लोगों से चार बातें सुन
पाँचवी वो सुना गया है मुझे

लाल फ़ीते से बांध रक्खा है
और तरक़्क़ी कहा गया है मुझे

नोंक लगते ही फ़टना तय समझो
बस हवा से भरा गया है मुझे

तुझसे मिलने की आस में ही सही
**सब्र करना तो आ गया है मुझे**

#मौलिक व अप्रकाशित

जनाब अजय गुप्ता जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मतले के दोनों मिसरों में 'ता', की क़ैद दोष है,देखियेगा ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
4 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service