For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सजती चुनाव में यहाँ जब तस्तरी बहुत - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/२२२/१२१२


सजती चुनाव  में  यहाँ  जब  तस्तरी बहुत
फिर भी बढ़े है रोज क्यों ये भुखमरी बहुत।१।


उतरा न मन का मैल जो सियासत ने भर दिया
दे कर  भी  हमने  देख  ली  है  फ़िटकरी बहुत।२।


अब खेल वो दिखाएगी उसको चुनाव में
जनता से जिसने है करी बाज़ीगरी बहुत।३। 


नेता न आया  एक  भी  सेवा  की राह पर
लोगों ने कह के देख ली खोटी खरी बहुत।४।


क्या होगा उनके राज का जनता बतायेगी
करते सदन में जो रहे गत मशखरी बहुत।५।


आता नहीं है दुख नजर निर्धन का क्यों हमें
जब  से   हुई   है   जिन्दगी   लग्जरी  बहुत।६।


होता नहीं है कम यहाँ थोड़ा भी मनमुटाव
वैसे  सुलह  के  लिए  बिछती  दरी  बहुत।७। 


मौलिक/अप्रकाशित

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 5, 2019 at 11:26am

//जब  से   हुई   है  जिन्दगी  यूँ  लग्जरी बहुत'//

ये मिसरा अब ठीक है,और बाक़ी के मिसरे?

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 5, 2019 at 6:25am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार।

इस मिसरे की बह्र को पुनः देखिएगा

जब  से   हुई   है  जिन्दगी  यूँ  लग्जरी बहुत'

Comment by Samar kabeer on May 2, 2019 at 11:35am

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'सजती चुनाव  में  यहाँ  जब  तस्तरी बहुत'

इस मिसरे में 'तस्तरी' को "तश्तरी" कर लें ।

'करते सदन में जो रहे गत मशखरी बहुत'

इस मिसरे में 'मशख़री' को "मसख़री" कर लें ।

 
'जब  से   हुई   है   जिन्दगी   लग्जरी  बहुत'

इस मिसरे की बह्र चेक करें ।


'वैसे  सुलह  के  लिए  बिछती  दरी  बहु'

ये मिसरा लय में नहीं है और इसमें सहीह शब्द "सुल्ह" है,मिसरा चाहें तो यूँ कर सकते हैं:-

'वैसे तो सुल्ह के लिए बिछती दरी बहुत

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2019 at 5:27am

आ. भाई सुरेंद्रनाथ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2019 at 5:25am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on May 1, 2019 at 6:22pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर धामी जी सादर अभिवादन।  बढिया ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2019 at 3:18pm

होता नहीं है कम यहाँ थोड़ा भी मनमुटाव
वैसे सुलह के लिए बिछती दरी बहुत।७।

वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , हकीकत की जमीन पर लिखी इस खूबसूरत ग़ज़ल के दिल से मुबारकबाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 30, 2019 at 7:47pm

आ. भाई बसंत जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद । शेष जो कुछ भी नवीन नजर आता है वह ओबीओ के आप जैसे समस्त प्रेरणाशील और मार्गदर्शक सदस्यों के स्नेह का ही परिणाम है । सादर...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 30, 2019 at 7:43pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on April 30, 2019 at 2:06pm

आदरणीय लक्षण धामी साहब -सादर नमस्कार , काफियों में नवीनता और उनका सटीक निर्वाह, आनंद आ गया , बधाई हो आपको  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
4 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
5 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
7 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service