For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परछाईयाँ (२ क्षणिकाएं ) ....

परछाईयाँ (२ क्षणिकाएं ) ....

1.

एक अंत
मृतिका पात्र में
कैद हो गया
जीवन के धुंधलके में
अर्थहीन परछाईयों का
पीछा करते करते

..............................

2.

बीते कल की
क्षत-विक्षत अभीप्सा का
शृंगार व्यर्थ है
अन्धकार को भेदो
सूरज वहीं कहीं मिलेगा
दुबका हुआ
नई अभीप्सा का

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by narendrasinh chauhan on July 31, 2018 at 10:00pm
खुब सुन्दर रचना
Comment by Sushil Sarna on July 30, 2018 at 3:55pm

आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on July 30, 2018 at 3:55pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 29, 2018 at 2:15pm

वाह आदरणीय सुन्दर क्षणिकाएं..बधाई

Comment by TEJ VEER SINGH on July 26, 2018 at 8:44pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। बेहतरीन क्षणिकायें।

Comment by Sushil Sarna on July 26, 2018 at 6:29pm

आदरणीय श्याम नारायण जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on July 26, 2018 at 6:29pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Shyam Narain Verma on July 25, 2018 at 2:53pm
सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें
Comment by Samar kabeer on July 25, 2018 at 11:49am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा क्षणिकाएँ हुई हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on July 24, 2018 at 7:47pm

आदरणीया  babitagupta जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service