For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (किसी खंजर का मत अहसान लीजिए )

(मफाईलुन-मफाईलुन -फऊलन )

किसी खंजर का मत अहसान लीजिए |
हमारी मुस्करा कर जान लीजिए |

जिसे अपना बनाने जा रहे हैं
उसे अच्छी तरह पहचान लीजिए |

हमारा साथ दोगे ज़िंदगी भर
वफ़ा से पहले दिल में ठान लीजिए |

मुझे तो बाद में चुन लीजिएगा
जहाँ की खाक पहले छान लीजिए |

किसे है ख़ौफ़ दिलबर इम्तहाँ का
कमाँ हाथों में अपने तान लीजिए |

किसी का लीजिए अहसान लेकिन
न दौलत मंद का अहसान लीजिए |

मुहब्बत की कहाँ होती है मंज़िल
ये सच तस्दीक़ पहले जान लीजिए |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 9, 2017 at 4:28pm

जनाब राम अवध साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 9, 2017 at 3:08pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बहुत बहुत बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 8, 2017 at 6:18pm

जनाब गुर प्रीत साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Gurpreet Singh jammu on December 8, 2017 at 3:29pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी ,,,बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ,,मतला विशेष तौर पर पसंद आया ,, मुबारकबाद कुबूल करें जी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 8, 2017 at 11:31am

जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 8, 2017 at 11:30am

मुहतर्मा रक्षिता साहिबा ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 8, 2017 at 11:29am

मुहतरम जनाब  समर साहिब , लीजे  लफ्ज़ उर्दू  डिक्शनरी में है ही नहीं ,सिर्फ बोल चाल में है जो कि "लीजिये " में हर्फ़ को गिरा कर  मिलता है ।

वज़्न इसका लीजे ही लिया गया है ।मेरे हिसाब से लिखने में तो सही लफ्ज़ ही लिखना चाहिए जो मैं ने किया है --सादर

Comment by SALIM RAZA REWA on December 8, 2017 at 7:52am
वाह... जनाब तसदीक़ साहिब क्या खूब ग़ज़ल कही है, हर शेर के लिए मुबारक़बाद,
Comment by रक्षिता सिंह on December 8, 2017 at 1:22am

 आदरणीय, तस्दीक़ जी

खूबसूरत गज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद।

Comment by Samar kabeer on December 7, 2017 at 10:29pm

ये कैसे मुमकिन है कि आप 'लीजिए' लिखें और पाठक उसे "लीजे" पढ़े, दोनों लफ़्ज़ अपनी अपनी जगह सही हैं ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service