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स्वतंत्र लेखिका
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Sheikh Shahzad Usmani left a comment for स्वतंत्र लेखिका
"आदाब। धन्यवाद । लेकिन कृपया अपना मूल वास्तविक नाम भी तो बताइएगा... यहाँ या सोशल मीडिया पर।"
Dec 30, 2022
pratibha pande and स्वतंत्र लेखिका are now friends
Dec 12, 2022
आचार्य शीलक राम left a comment for स्वतंत्र लेखिका
"धन्यवाद आदरणीय"
Dec 2, 2022
स्वतंत्र लेखिका left a comment for आचार्य शीलक राम
"Welcome sir ! "
Nov 30, 2022
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-92 (विषय: रोटी)
"सादर प्रणाम आदरणीया, क्या संस्मरण लघुकथा के अंतर्गत नहीं आ सकता , कृपया मार्गदर्शन करें। क्या कोई ऐसी लघुकथा लिखी जा सकती है जिसमें एक  व्यक्ति दूसरे को अपना संस्मरण सुनाए ?"
Nov 30, 2022
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-92 (विषय: रोटी)
"आदरणीय शेख़ जी, सादर प्रणाम ।  मैं पूंछना चाहती हूं कि क्या संस्मरण लघुकथा के अंतर्गत आ सकते हैं ? "
Nov 30, 2022
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-92 (विषय: रोटी)
"आदरणीय वीर जी, सादर प्रणाम ।  बहुत ही सुन्दर लघुकथा , पढ़कर आनंद आ गया , हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Nov 30, 2022
स्वतंत्र लेखिका updated their profile
Nov 26, 2022
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-149
"थम सी गयी है ज़िंदगी कोई बवाल हो ! आकर गले पड़े कोई जीना मुहाल हो !! है क्या मज़ा जो चाहा उसको कर लिया हासिल !सीने  में  कोई  ग़म  तो  हो  कोई  मलाल  हो !! चेहरे से मेरे क्या कोई पहचानेगा मुझको !मिलती हूं…"
Nov 26, 2022
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-149
"आदरणीया रिचा‌ जी नमस्कार... बहुत ही उम्दा शैर कहे आपने अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ।"
Nov 25, 2022
स्वतंत्र लेखिका commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post एक दिन आ‍ँसू पीने पर भी टैक्स लगेगा (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी, सादर प्रणाम ! बहुत ही बेहतरीन गज़ल हार्दिक बधाई  स्वीकार करें।  "
Jul 20, 2022
स्वतंत्र लेखिका commented on Sushil Sarna's blog post आँधियों से क्या गिला. . . . .
"आदरणीय सुशील जी, सादर प्रणाम । बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ हार्दिक बधाई स्वीकार करें। "
May 25, 2022
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"आदरणीय प्रभाकर जी सादर प्रणाम ।  वास्तव में, अब ये एक लघुकथा हुई । मेरी रचना पर आपका बहुमूल्य समय देकर  सुंदर परिमार्जन करने हेतु ह्रदय से आभार आदरणीय ।"
Dec 31, 2021
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"आदरणीय प्रभाकर जी सादर प्रणाम । लघुकथा, संस्मरण के रूप में नहीं लिखी जाती इस बात का मुझे ज्ञान ना था।  रचना  पर प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन हेतु ह्रदय  से आभार।"
Dec 31, 2021
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
"आदरणीय उस्मानी जी, सादर प्रणाम । मार्गदर्शन करने हेतु ह्रदय से आभार, आपके द्वारा बतायी गयीं बातों को ध्यान में रखकर मैं अगली बार बेहतर लिखने का प्रयास करूँगी। "
Dec 31, 2021
स्वतंत्र लेखिका replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-81
""विश्वास" ओ.बी.ओ. पर लघु कथागोष्ठी का विषय आज फिर मुझे मेरे अतीत की ओर ले गया...तब मैं सिर्फ चार साल की थी, उस रोज पापा के साथ, मैं ज़िद करके बाजार आयी थी। जब पापा दुकान में सामान खरीदने जाते तब स्कूटर की वेवीशीट पर बैठी मैं दुकानों में…"
Dec 30, 2021

Profile Information

Gender
Female
City State
Noida
Native Place
Ujhani
Profession
Fashion desinger
About me
NA

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At 7:07pm on December 30, 2022, Sheikh Shahzad Usmani said…

आदाब। धन्यवाद । लेकिन कृपया अपना मूल वास्तविक नाम भी तो बताइएगा... यहाँ या सोशल मीडिया पर।

At 7:29pm on December 2, 2022, आचार्य शीलक राम said…

धन्यवाद आदरणीय

At 10:25pm on June 20, 2018, SudhenduOjha said…

आदरणीया सुश्री रक्षिता सिंह जी, नमस्कार। रचना आपको पसंद आई, धन्यवाद....

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उन्हें मालूम नहीं ...

बड़ी खामोशी से वो कर रहें हैं गुफ्तगू

मगर सब सुन रहे हैं ये उन्हें मालूम नहीं !!

मोहब्बत के खिलें हैं फूल जिनके दर्मियाँ

वो काँटे चुन रहे हैं ये उन्हें मालूम नहीं !!

यूँ शब भर जागकर सौदाई बन तन्हाई का

गलीचा बुन रहे हैं ये उन्हें मालूम नहीं !!

किये हैं ज़ब्त, वादों में जो रिश्ते प्यार के

वो रिश्ते घुन रहें हैं ये उन्हें मालूम नहीं !!

वो हमसे पूंछते हैं इश्क करने की वज़ह

मोहब्बत बेवज़ह है ये उन्हें मालूम नहीं…

Continue

Posted on February 18, 2019 at 9:49am — 2 Comments

अल्फाज़

अल्फाज़ रूठें हैं -
छोटे बच्चों की तरह,  

मेरी शायरी पर -
अपने पैर पटक रहे हैं,

बहुत अरसे के बाद -
आया हूँ मिलने इनसे,

यकीनन इसलिए-
रूठे हैं मुझसे कट रहे हैं !!

(मौलिक व अप्रकाशित)

Posted on February 8, 2019 at 10:25am — 4 Comments

प्रिय

तेरी मीठी बातों से ही

भरता मेरा पेट प्रिय,

जिस दिन तू गुमसुम रहती है-

भूखा मैं सो जाता हूँ !!

मैखाना, ये आँखें तेरी

पीने दे मत रोक प्रिय,

जब जब ये छलका करती हैं-

और बहक मैं जाता हूँ !!

रहता हूँ तेरे दिल में मैं

बनकर तेरा दास प्रिय,

जब भी टूटा है दिल तेरा-

तब मैं बेघर हो जाता हूँ !!

मदहोश सा कुछ हो जाता हूँ

जब होती हो तुम साथ प्रिय,

छू कर निकलूँ जो लव तेरे तो-

ज़ुल्फ़ों में खो जाता हूँ…

Continue

Posted on January 3, 2019 at 6:41pm — 4 Comments

विरह गीत

अश्रु भरे नैन,
नाहीं आवे मोहे चैन
कैसे कटें दिन रैन,
इस विरहा की मारी के...

मन में समायो है,
ये जसुदा को जायो
कोई ले चलो री गाम मोहे,
कृष्ण मुरारी के...

कर गयो टोना,
नंनबाबा को ये छोना
देख सांवरो सलौना,
गाऊँ गीत मल्हारी के...

व्याकुल सो मन
अकुलाये से नयन
बिन धीरज धरें ना
चितवन को निहारि के...

(मौलिक व अप्रकाशित)

Posted on August 19, 2018 at 8:58pm — 11 Comments

 
 
 

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