For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सियाह ज़ुल्फ़ के साये में शाम हो जाये

1212 1122 1212 22*
ये ख्वाहिशें हैं कि दिल तक मुकाम हो जाये ।
सियाह ज़ुल्फ़ के साये में शाम हो जाये ।।

हैं मुन्तज़िर सी ये आंखे कभी तू मिल तो सही।
नए रसूख़ पे मेरा कलाम हो जाये ।।


बड़े गुरुर से उसने उठाई है बोतल ।
ये मैकदा न कहीं फिर हराम हो जाये ।।

फिदा है आज तलक वो भी उस की सूरत पर ।
कहीं न वो भी सनम का गुलाम हो जाये ।।

अदा में तेज हुकूमत की ख्वाहिशें लेकर ।
खुदा करे कि वो दिल का निजाम हो जाए ।।


किसी की बज्म में आना है एक दिन उसको ।
मेरे नसीब में वह एहतराम हो जाये ।।

जफ़ा की राह पे चलने लगे वफ़ा वाले ।
वफ़ा की बात से किस्सा तमाम हो जाये ।।

नावीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 13, 2017 at 9:12pm
आ0 गिरिराज भंडारी साहब शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 13, 2017 at 9:04pm

आ. नवीन भाई , अच्छी गज़ल कही है . हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 11, 2017 at 9:35am
सूंदर
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 11, 2017 at 9:12am
आ0मो0 आरिफ़ साहब शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 11, 2017 at 9:11am
आ0 सलीम रजा रेवा जी आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 11, 2017 at 9:10am
आ0 कबीर सर सादर आभार ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 10, 2017 at 10:44pm
आ. नवीन जी ग़ज़ल के लिए बधाई,
Comment by Samar kabeer on September 10, 2017 at 6:21pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
'किसी के बज़्म में आना है एक दिन उसको'
इस मिसरे को यूँ करें :-
'किसी की बज़्म में आना है एक दिन उसको'
'बज़्म'शब्द स्त्रीलिंग है ।
Comment by Mohammed Arif on September 10, 2017 at 4:29pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बहुत प्यारी ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service