For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक कविता जश्ने आज़ादी के नाम

सत्तर बरस आज़ादी के,
याद करो क़ुर्बानी के ।
वो तो सब परवानें थे ,
भारत माँ के दीवानें थे
हँसते हुए प्राण गंवाए,
वीर शहीद वो कहलाए ,
माँ का हर वचन निभाया ,
देकर रक्त कर्ज़ चुकाया ।
सत्तर बरस.......
आज़ादी की मशाल थे ,
भारत भूमि की ढाल थे ,
शौर्य के अंगारे थे ,
इंकलाब के नारे थे ,
सब साहस की उड़ान थे
वीरता की पहचान थे ।
सत्तर बरस......
हर वीर एक ज्वाला था ,
क्रांति का मतवाला था
जब विपदा आन पड़ी थी ,
जवानी कुर्बान खड़ी थी ,
शौर्य बसंत आया था ,
रंग बसंती छाया था ।
सत्तर बरस......
बलिदानी उनका कर्म था ,
मर मिटना जिनका धर्म था ,
आओ शौर्य गीत गाएँ
वीरों को अमर बनाएँ ,
सक्षम भारत वर्ष बनाएँ
आज़ादी की अलख जगाएँ ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on August 18, 2017 at 11:09am
आदरणीय श्याम नारायण जी सृजन पर प्रतिक्रिया देकर सार्थक करने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Mohammed Arif on August 18, 2017 at 11:07am
आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी सृजन को सम्मान देने का बहुत-बहुत आभार । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by नाथ सोनांचली on August 18, 2017 at 4:44am
आद0 मोहम्मद आरिफ भाई जी बेहद खूबसूरत सृजन, जश्ने आजादी पर। कोटिश बधाइयाँ
Comment by Shyam Narain Verma on August 17, 2017 at 3:52pm

"देशभक्ति के भाव से सजी रचना हेतु सादर बधाई |"

Comment by Mohammed Arif on August 17, 2017 at 7:40am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय मोहित मुक्त जी ।
Comment by Mohammed Arif on August 16, 2017 at 1:22pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव जी । लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on August 16, 2017 at 11:52am
मोहम्मद आरिफ जी इस आज़ादी की अलख जगाती कविता की हृदय से बधाई।
आओ शौर्य गीत गाएँ
वीरों को अमर बनाएँ ,
सक्षम भारत वर्ष बनाएँ
आज़ादी की अलख जगाएँ । बहुत खूब
Comment by Mohammed Arif on August 15, 2017 at 7:44pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । यौमे आज़ादी की ढेरों-ढेरों मुबारकबाद ।
Comment by Samar kabeer on August 15, 2017 at 6:14pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,यौम-ए-आज़ादी पर मंच को आपने बढ़िया कविता से अच्छा तोहफ़ा दिया,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service