For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूंधी हुई आवाज़ : लघुकथा : हरि प्रकाश दुबे

 

“बेटा एक बात कहूं क्या?”

 

“हाँ बोल न माँ, पर अपनी बहू के बारे में नहीं।“   

 

माँ चुप हो गयी, फिर बोली “बेटा, अपने से जुड़े हुए लोगों का महत्व समझना चाहिये, हमे देखना चाहिये की वो हमसे कितना प्यार करते हैं, हमे भी उनको उतना ही स्नेह और महत्व देना चाहिये, कभी-कभी हम अपने से स्नेह करने वालों से, चाहे वो कोई भी क्यों न हों, इस तरह का व्यवहार करने लग जाते हैं, जैसे ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ ।“

बेटा हो सकता है वो आपको, आपके इस तरह के उपेक्षापूर्ण व्यवहार के बाद भी चुपचाप सहते रहतें हों, पर अंतत: इस अवस्था में वो आपके साथ से थक जायेंगें और आपको पता भी नहीं चलेगा की कब वो आपकी जिंदगी से .........!

 

इतना सुनते ही मनोज की आँखों के सामने अतीत के कुछ मारपीट, विवाद के दृश्य आ गए, आँखों में आँसू लिए वो चुपचाप नीचे उतरा और अपनी कार स्टार्ट करने लगा ।   

 

खर्र-खर्र की आवाज सुनकर ‘माँ’ ने जोर से आवाज लगाकर पूछा, “बेटा कहाँ जा रहे हो इतनी रात को ?”

 

मनोज ने बहुत ही रूंधी हुई आवाज़ से कहा, “सीमा के घर, उसको वापस लाने ।“ 

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

© हरि प्रकाश दुबे

 

 

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on August 4, 2017 at 4:57am
आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी सादर प्रणाम, बहुत ही अच्छे कथानक को चुना आपने । माँ आखिर माँ होती है । वह कभी नहीं चाहती की घर टूटे । वह हर परिस्थिति में परिवार को बचाने का प्रयास करती है ।अच्छी लघु कथा ।बधाई स्वीकार कीजिये
Comment by Hari Prakash Dubey on August 3, 2017 at 6:26am

आप तो  स्वंय बहुत अच्छा लिखते  है आदरणीय  Sheikh Shahzad Usmani  साहब , रचना पर आपके समर्थन के लिए आपका कोटिश: धन्यवाद ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on August 3, 2017 at 6:24am

आदरणीय  Samar kabeer साहब, रचना पर आपके समर्थन से उत्साहवर्धन होता है ,हालांकि आजकल कार्य क्षेत्र में स्थानांतरण की वजह से   वक्त पर प्रत्युत्तर नहीं दे पा रहा हूँ ,जल्द ही चीजें सामान्य  हो  जायेंगी , अपना स्नेह बनाए रखियेगा !   आपका हार्दिक आभार !  सादर  

Comment by Hari Prakash Dubey on August 3, 2017 at 6:14am

आदरणीय  Mohammed Arif  साहब दिल से शुक्रिया आपका ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on August 3, 2017 at 6:12am

आदरणीया pratibha pande जी, आपका हार्दिक धन्यवाद , सच है माँ का संवाद कुछ अधिक लंबा हो गया है, पर यह कथा भी बस भावना में ही लिखी गयी, छोटा हो सकता था पर कुछ अधूरी सी बात हो जाती ,एक बिगडैल लड़के क लिए जरूरी भी लग रहा था ,इसीलिए ! सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 2, 2017 at 8:15pm
बहुत बढ़िया अनुपम भावपूर्ण रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी।
Comment by Samar kabeer on August 2, 2017 at 3:45pm
जनाब हरि प्रकाश दुबे जी आदाब,अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on August 2, 2017 at 2:56pm
आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी आदाब, बहुत ही अच्छे कथानक को चुना आपने । माँ आखिर माँ होती है । वह कभी नहीं चाहती की घर टूटे । वह हर हाल में परिवार को बचाने का प्रयास करती है । संदेशपरक कथा ।बधाई स्वीकार करें ।
Comment by pratibha pande on August 2, 2017 at 8:46am
रिश्तों की संवेदनशीलता पर बुनी भावपूर्ण रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी। लघुकथा शिल्प के अनुसार माँ का संवाद कुछ अधिक लंबा हो गया है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी,  आपके प्रयास की वाह-वाह भूरि-भूरि, कठिन है किंतु पद, आपने लगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  कवित्त है शुद्ध शुद्ध, कवि मन से प्रबुद्ध, पद पढ़ बार-बार, रस में…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   बरसों बाद मेला है, खूब ठेलम ठेला है, भीड़ बहुत भारी है,…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"सुगढ़ कवित्त प्रस्तुति, आदरणीय अशोक भाईजी  मैं पुन: उपस्थित होता हूँ। "
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   संगम  के  तट  पर, संतो  का  जमावड़ा  है, एक…"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service