For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (दिल सितमगर के नाम कर बैठे )

ग़ज़ल
(फ़ाइलातुन-मफ़ाइलुंन-फेलुंन)
ज़िन्दगी हम तमाम कर बैठे।
दिल सितमगर के नाम कर बैठे।

हो गई सिर्फ हम से यह गलती
राजे उल्फत को आम कर बैठे।

यक बयक क्या निगाह उनसे लड़ी
नींद अपनी हराम कर बैठे।

जो सियासत को लाया मज़हब में
उसका हम एहतराम कर बैठे।

जो न अब तक ज़बान कर पाई
वह निगाहों से काम कर बैठे।

वह किसी संग दिल का है कूचा
तुम जहां पर क़याम कर बैठे।

वह न तस्दीक़ आये फिर भी हम
बज़्म का इहतिमाम कर बैठे।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 820

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 7, 2017 at 4:08pm
मुहतरम जनाब गिरिराज भाई साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला का बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2017 at 5:17pm

आदरणीय तस्दीक भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2017 at 4:11pm
मुहतरम जनाब रवि साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Ravi Shukla on August 6, 2017 at 12:46pm

वाह वाह आदरणीय तस्दीक साहब बहुत ही उम्दा गजल कही है हर शेर पढ़ कर मजा आ गया शेर दर शेर दिली दाद और मुबारकबाद पेश करते हैं सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 6, 2017 at 12:20pm
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 7:55am
वाह वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही आदरणीय
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 5, 2017 at 3:36pm
जनाब सुशील सरना साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत ,खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 5, 2017 at 3:34pm
जनाब गजेन्द्र साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Sushil Sarna on August 5, 2017 at 3:05pm

ज़िन्दगी हम तमाम कर बैठे।
दिल सितमगर के नाम कर बैठे।

हो गई सिर्फ हम से यह गलती
राजे उल्फत को आम कर बैठे।

वाह एक बेहतरीन ग़ज़ल ... दिल से बधाई कबूल करें आदरणीय।

Comment by Gajendra shrotriya on August 5, 2017 at 12:50pm
बहुत खूब आ० तस्दीक अहमद साहब। खूबसूरत गजल के लिए दिली दाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service