For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रह गए हम -ग़ज़ल- बसंत कुमार शर्मा

मापनी 2122  2122 212

 

दूर से  नजरें  मिलाते  रह गए हम  

पास उनके आते’ आते रह गए हम

 

कान  पर जूं  तक न रेंगी साहिबों के,

हक़ की खातिर गिड़गिड़ाते रह गए हम   

 

तल्खियाँ हर बात में उनकी रहीं हैं,

प्यार की धुन गुनगुनाते रह गए हम

 

माल लेकर चल दिये वो तो वहाँ से,

स्टेज पर फोटो खिंचाते रह गए हम

 

फुर्र हो कर आसमानों में उड़े वो,

धूल धक्कड़ में नहाते रह गए हम

 

जब मिला मौका उन्होंने दाँव खेले,

प्यार के रिश्ते निभाते रह गये हम

 

इन मकानों का करें तो अब करें क्या,

स्वप्न घर का बस सजाते रह गए हम

 "मौलिक एवं अप्रकाशित "

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 1:23pm

आदरणीय   laxman dhami जी, हौसलाफजाई  के लिए  आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2017 at 11:52am

हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:08am

आदरणीय Gurpreet Singh जी, हौसलाफजाई  के लिए  आपका दिल से शुक्रिया 

आपने सही पकड़ा, मापनी गलत लिख गई है 

मापनी २१२२ २१२२ २१२२ है ,इसी तरह स्नेह बनाये रखिये सादर 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:08am

जी आदरणीय Samar kabeer जी मैंने संज्ञान ले लिया है , हौसला अफजाई के लिए दिल शुक्रिया आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:07am

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar  जी, हौसलाफजाई  के लिए  आपका दिल से शुक्रिया 

आपने सही पकड़ा, मापनी गलत लिख गई है 

मापनी २१२२ २१२२ २१२२ है ,इसी तरह स्नेह बनाये रखिये सादर 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:05am

 आदरणीय khursheed khairadi  जी, हौसलाफजाई  के लिए  आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:05am

 आदरणीय Mohammed Arif  जी, हौसलाफजाई  के लिए  आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:03am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी हौसला अफजाई के लिए आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by Gurpreet Singh jammu on August 1, 2017 at 9:22am

आदरणीय बसंत कुमार जी,, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है,, ऊपर मापनी आपने गलत लिख दी है,,, आपने 2122  2122 212 लिखा है जबकि ग़ज़ल 2122 2122 2122 पर है,

Comment by Samar kabeer on July 31, 2017 at 6:33pm
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब निलेश साहिब की बातों पर ध्यान दें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service