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बेटियाँ (मुक्तक)

(1)क़ुदरत की इनायत हैं बेटियाँ
माँ-बाप की चाहत हैं बेटियाँ
सदा सपनों को करती साकार
हर घर की ज़रूरत हैं बेटियाँ ।
(2)राहें नई बना रही हैं बेटियाँ
सपनें नये सजा रही हैं बेटियाँ
कीर्तिमानों के शिखरों को छू रही
विमानों को उड़ा रही हैं बेटियाँ ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:10pm

बेटियों पर यह रचना बहुत सुंदर हुई है आदरणीय | हार्दिक बधाई 

Comment by Mohammed Arif on June 5, 2017 at 8:45pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी ।
Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 7:27pm

बेटियों को समर्पित बढ़िया मुक्तक हैं आ. मोहम्मद आरिफ़ जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 3, 2017 at 5:01pm
रचना को मान देने का हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।
Comment by vijay nikore on June 3, 2017 at 3:21pm

सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई, भाई आरिफ़ जी

Comment by Mohammed Arif on June 2, 2017 at 4:15pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।
Comment by Shyam Narain Verma on June 2, 2017 at 12:29pm
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "
Comment by Mohammed Arif on June 2, 2017 at 11:07am
रचना को मान देने का हार्दिक आभार आदरणीय बसंत कुमार जी ।
Comment by Mohammed Arif on June 2, 2017 at 11:05am
रचना सराहना के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय नरेंद्र सिंह जी ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 2, 2017 at 10:05am

आदरणीय Mohammed Arif जी , बेटियों को समर्पित बेहतरीन मुक्तक 

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