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गजल

221   221   212

वह दौर था जो गुजर गया

था इक नशा जो उतर गया

 

देखा था उसने फरेब से

दिल आशिकाना सिहर गया

 

मुफलिस समझ के जनाब वो 

पहचानने से मुकर गया

 

जिस पर भरोसा किया बहुत

वह यार जाने किधर गया

 

जब साथ था तो कमाल था

अब जिन्दगी का हुनर गया

 

इक ठेस ही थी लगी मुझे  

मैं कांच सा था बिखर गया

 

जिस नाग ने था डसा मुझे

मैंने सुना है कि मर गया

 

सब सह लिये जो मिले थे गम

उसकी दुआ थी सुधर गया

 

कैसे जियूँगा मैं हमनवा  

पहले वहां मैं अगर गया

 

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

 

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Comment by vijay nikore on May 24, 2017 at 1:25pm

// सब सह लिये जो मिले थे गम

उसकी दुआ थी सुधर गया

 

कैसे जियूँगा मैं हमनवा  

पहले वहां मैं अगर गया//

गज़ल के भाव बहुत ही दिलकश हैं। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 12, 2017 at 11:20am

जिस नाग ने था डसा मुझे

मैंने सुना है कि मर गया------वाह्ह्ह्ह  आदमी नाग से भी ज्यादा जहरीला हो गया 

 

कैसे जियूँगा मैं हमनवा  

पहले वहां मैं अगर गया------बहुत मर्म स्पर्शी 

बहुत खूब ग़ज़ल कही है आद० डॉ० गोपाल भाई जी वैसे ये बह्र कौन सी है ?  

 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 11, 2017 at 6:40am

बहुत खूब डॉ साहब ... 
बहुत बहुत बधाई 

Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on April 9, 2017 at 11:26pm

आदरणीय गोपाल नारायण साहेब ....उम्दा गजल ........हार्दिक बधाई स्वीकार करें|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2017 at 11:19am

आदरनीय बड़े भाई , क्या खूब गज़ल कही है आपने ... ह्र्दय से बधाइयाँ प्रेषित हैं ... स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 9, 2017 at 10:46am

बेहतरीन गज़ल आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी। हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on April 8, 2017 at 2:37pm
जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'जब साथ था तो कमाल था'
इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'साथ था',मिसरा इस तरह करलें तो ये ऐब निकल जायेगा :-
"जब साथ वो था कमाल था"
Comment by Sushil Sarna on April 8, 2017 at 2:28pm

वह दौर था जो गुजर गया
था इक नशा जो उतर गया

देखा था उसने फरेब से
दिल आशिकाना सिहर गया

वाह आदरणीय गोपाल जी भाई साहिब ... बहुत ही सुंदर और सार्थक अशआर कहे हैं आपने सर ... इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 8, 2017 at 11:01am
आदरणीय गोपाल नारायण जी उम्दा प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Mohammed Arif on April 8, 2017 at 10:46am
आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र बेजोड़, लाजवाब । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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