For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मेरी ग़ज़ल पे निशाना है बात क्या करना

1212 1122 1212 22

बड़ा खराब ज़माना है बात क्या करना ।
मेरी ग़ज़ल पे निशाना है बात क्या करना ।।

नहीं है नज्म की तहजीब जिस मुसाफिर को ।
उसी से दिल का फ़साना है बात क्या करना ।।

अजीब शख़्स यूँ पढ़ता उन्हीं निगाहों को ।
किसी को वक्त गवाना है बात क्या करना ।।

बिखर गए है तरन्नुम के हर्फ़ महफ़िल में ।
नजर नज़र से मिलाना है बात क्या करना ।।

हुजूर जिन से दुपट्टे कभी नही सँभले ।
उसे भी घर को बसाना है बात क्या करना ।।

दिखी है आग जो दरिया में तेज लपटों सी ।
वहीं से डूब के आना है बात क्या करना ।।

नया नया है वो शायर उसे न छेड़ो तुम ।
हजार दर्द सुनाना है बात क्या करना ।।

घनी है जुल्फ बहकती सी शोख़ नजरें हैं ।
मियाँ नकाब उठाना है बात क्या करना ।।

गुजर न रोज़ अदाओ के साथ बन ठन कर ।
तुझे तो आग लगाना है बात क्या करना ।।

ये हाशिये जो मुकद्दर के दरमियां मेरे ।
फ़ना का फर्ज निभाना है बात क्या करना ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2016 at 10:06pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आद० नवीन त्रिपाठी जी बहुत बहुत मुबारकबाद |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2016 at 10:05pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आद० नवीन त्रिपाठी जी बहुत बहुत मुबारकबाद |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:52pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय नवीन जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:05am
आ0 सुरेश कुमार कल्याण साहब शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:03am
आ0 शेख शहजाद उस्मानी साहब शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:02am
आ0 शिज्जु शकूर साहब आदाब ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 27, 2016 at 11:01am
आ0 डॉ गोपाल नारायण सर सादर आभार ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 9:04am
हर शेर में दम ।आदरणीय नवीन मणि जी सादर बधाई।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2016 at 4:14pm
कटाक्ष भी और सवाल भी! बहुत बढ़िया प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आपको आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 3:49pm

आ. नवीन मणि त्रिपाठी जी अच्छी ग़ज़ल है बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service