For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झूठ मिटता गया देखते देखते (ग़ज़ल)

२१२ २१२ २१२ २१२

 

झूठ मिटता गया देखते देखते

सच नुमायाँ हुआ देखते देखते

 

तेरी तस्वीर तुझ से भी बेहतर लगी

कैसा जादू हुआ देखते देखते

 

तार दाँतों में कल तक लगाती थी जो

बन गई अप्सरा देखते देखते

 

झुर्रियाँ मेरे चेहरे की बढने लगीं

ये मुआँ आईना देखते देखते

 

वो दिखाने पे आए जो अपनी अदा

हो गया रतजगा देखते देखते

 

शे’र उनपर हुआ तो मैं माँ बन गया

बन गईं वो पिता देखते देखते

--------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 20, 2016 at 10:45am

बहुत  बढ़िया ग़ज़ल हर शेर खूबसूरत है हार्दिक बधाई आपको आ० धर्मेन्द्र जी 

Comment by जयनित कुमार मेहता on March 19, 2016 at 9:46pm
आदरणीय धर्मेन्द्र जी, कमाल की ग़ज़ल कही आपने। मुबारकबाद आपको।।
Comment by Rama Verma on March 19, 2016 at 1:44pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल, बधाई आपको
Comment by Rahul Dangi Panchal on March 18, 2016 at 8:17am
शे’र उनपर हुआ तो मैं माँ बन गया
बन गईं वो पिता देखते देखते
बहुत सुन्दर भैया जी
Comment by kanta roy on March 17, 2016 at 5:46pm

तार दाँतों में कल तक लगाती थी जो

बन गई अप्सरा देखते देखते------- हा  हा  हा  हा  ...वाह ! क्या  बात  है  आदरणीय धर्मेन्द्र जी , कमाल का  लिख  गए  है , बधाई 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 17, 2016 at 3:00pm
बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई
Comment by Ravi Shukla on March 17, 2016 at 2:58pm

अादरणीय धर्मेन्‍द्र जी बढि़या ग़ज़ल कही है आपने बधाई

Comment by Samar kabeer on March 17, 2016 at 2:49pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by रामबली गुप्ता on March 17, 2016 at 2:26pm
छोटी वह्र में बहुत ही सुंदर ग़ज़ल कही आ.धर्मेन्द्र सिंह जी बहुत बहुत सुंदर
Comment by narendrasinh chauhan on March 17, 2016 at 1:03pm

लाजवाब रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service