For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द कुछ और नहीं --डा० विजय शंकर

पूछा किसी ने मुझसे
दर्द क्या है ,
कैसा है ये , इसका
एहसास कैसा है .

दर्द कुछ और नहीं
सिर्फ एक नाम तुम्हारा है
दर्द कुछ और नहीं
सिर्फ एहसास तुम्हारा है .

दर्द टूटने का नहीं है,
दर्द बिखर जाने का है
दर्द कुछ खोने का नहीं है ,
खुद के खो जाने का है .

दर्द उसे खोनेका नहीं
जो अपना था, खो गया .
बल्कि उसके खोने का है ,
जो अपना कभी था ही नहीं .

यूँ तो कुछ था नहीं
जो वो ले गया
एक उम्मीद थी
वो भी ले गया .

दर्द का एहसास
शायद मीठा ही होता .
गर दर्द का कुछ रिश्ता
आंसुओं से न होता .

जिंदगी है तो दर्द है
दर्द है तो जिंदगी है
जिंदगी नहीं तो दर्द नहीं
दर्द नहीं तो जिंदगी नहीं .

तुम थे साथ तो था
कोई दर्द नहीं
तुम्हारे बाद तुमसा
कोई दर्द नहीं .

तुम्हारे बाद तुमसा
कोई दर्द नहीं....

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 8, 2014 at 10:03am
प्रस्तुति पर आपके विचारों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी .
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2014 at 6:22pm

जिंदगी है तो दर्द है
दर्द है तो जिंदगी है
जिंदगी नहीं तो दर्द नहीं
दर्द नहीं तो जिंदगी नहीं ./..आदरणीय विजय जी ..दर्शन से ओतप्रोत इस सुंदर रचना के लिए तहे दिल बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 5, 2014 at 11:00pm
आदरणीय गोपाल नरायन जी आपको कविता पसंद आई , अच्छा लगा . बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 5, 2014 at 8:12pm

सुन्दर i  अति सुन्दर i

तुम थे साथ तो था
कोई दर्द नहीं
तुम्हारे बाद तुमसा
कोई दर्द नहीं .

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 5, 2014 at 2:36pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत बहुत धन्यवाद , दर्शन की बात करके आपने इसका मोल बढ़ा दिया .
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 5, 2014 at 2:33pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत बहुत धन्यवाद ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 11:23am

आदरणीय विजय भाई , कुछ जीवन दर्शन समेटे आपकी रचना के लिये आपको बधाइयाँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 5, 2014 at 11:09am

अति उत्तम हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० भाई विजय शंकर जी .

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 5, 2014 at 12:50am
आपको बहुत बहुत धन्यवाद , प्रिय जीतेन्द्र जी .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2014 at 11:23pm

बहुत ही सुंदर, मन को छू गई आपकी रचना. बहुत-२ बधाई आपको आदरणीय डा. विजय जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service