For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभिव्यक्ति .......

अभिव्यक्ति ......

कैसे व्यक्त करूँ
अपने प्रेम की गहराई को
अभिव्यक्ति के अवगुंठन में
एक खीज है
तुम्हें छूने की
अबोले स्पर्शों से
कब तक लड़ूँ मैं
तुम ही कहो न
अपने प्रेम की गहराई को
कैसे व्यक्त करूँ मैं

हां! मैं तुम्हें प्यार करूँगी
भोर की उजास में
साँझ की प्यास में
तृप्ति की आस में
हर हलाहल पी जाऊँगी
मर के भी जी जाऊँगी
बस मेरी तन्हाई में
कुछ देर और जी जाओ
तुम ही कहो
तुम्हारे प्यार में आखिर
कब तक जिऊँ और मरूँ मैं
अपने प्रेम की गहराई को
कैसे व्यक्त करूँ मैं

सुशील सरना / 15-7-21
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 18, 2021 at 12:18pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।
Comment by Samar kabeer on July 17, 2021 at 8:21pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी प्रस्तुति है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on July 16, 2021 at 9:28pm
आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्रणाम मेरे भावों का अनुमोदन करने का दिल से आभार । आपकी सोच से सहमत । सादर नमन
Comment by Chetan Prakash on July 16, 2021 at 4:05pm

नमन, आदरणीय सुशील सरना, सौ प्रयत्नों के बावजूद भी कुछ अव्यक्त रह जाना, वास्तव में एक सत्य है,  आपने यह महसूस किया और स्वीकार भी किया, सिद्ध करता है, आदाब, आप आचरण से ईमानदार हैं! 

लेकिन आदरणीय फिर रचना का शीर्षक " अभिव्यक्ति की परेशानी' होना चाहिए! सादर ! 

Comment by Sushil Sarna on July 16, 2021 at 12:53pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2021 at 12:43pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on July 16, 2021 at 12:16pm
आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी का दिल से आभार । सर यहाँ मेरा अभिप्राय अभिव्यक्ति में भी कहीं न कहीं कुछ ऐसा अव्यक्त भाव होता है जिसकी मैनें यहां कल्पना की है ।कुछ ऐसा ही भाव है सर । कुछ गलत हो तो क्षमा चाहूँगा ।सादर नमन सर
Comment by Sushil Sarna on July 16, 2021 at 12:03pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Chetan Prakash on July 15, 2021 at 10:16pm

नमस्कार, आदरणीय सुशील सरना साहब, कविता का सारा दारोमदार, मान्यवर, अभिव्यक्ति है! फिर, अभव्यक्ति के अवगुंठन' आपका क्या अभिप्राय है, समझ से परे है  ! आशा है, बंधुवर, उक्त बिन्दु पर आप जरूर प्रकाश डालेंगे! सादर 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 15, 2021 at 8:25pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, प्रेम की गहराई को अभिव्यक्त करने की अभिलाषा की शानदार अभिव्यक्ति के रूप में सुन्दर रचना हुई है। बधाई स्वीकार करें।  सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service