ग़ज़ल
22 22 22 22 22 2
जिसने देखा वो ये बोला ओबीओ
कोई नहीं है तेरे जैसा ओबीओ
जब तक ज़िंदा हूँ मैं साथ निभाऊँगा
है ये तुझ से मेरा वादा ओबीओ
'बाग़ी' जी के साथ सभी ने मिलजुल कर
नाज़ों से तुझको है पाला ओबीओ
दुनिया के कोने कोने में फैल गया
तू ने जो भी पाठ पढ़ाया ओबीओ
तेरा नाम शिखर पर दुनिया लिखती थी
मैंने कल शब ख़्वाब में देखा ओबीओ
गीत ग़ज़ल दोहे चौपाई सीख गया
तूने जिसको भी अपनाया ओबीओ
नाम नहीं मिट पाया तेरा दुनिया से
ज़ोर बहुत लोगों ने लगाया ओबीओ
तेरे आशिक़ बढ़ते जाते हैं प्यारे
ऐसे तू हर दिल पर छाया ओबीओ
यार यक़ीनन इसमें तेरा हिस्सा है
मैंने जो भी नाम कमाया ओबीओ
ज़िंदा हूँ जब तक मैं भूल न पाऊँगा
तुझसे इतना प्यार है पाया ओबीओ
चैन कहाँ पड़ता है 'समर' को तेरे बिन
दिन भर तेरा नाम वो रटता ओबीओ
'समर कबीर'
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
आदरणीय कबीर sirji, नमस्कार
ओबीओ की ग्यारहवीं सालगिरह का खूबसूरत ग़ज़ल के रूप में ये
तोहफ़ा क़ाबिल-ए-तारीफ़ है।
आप सभी को बहुत बहुत बधाई।
सादर।।
ख. भाई समर जी, सादर अभिवादन। वर्षगाठ उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय समर सर, बहुत बढ़िया! हार्दिक शुभकामनाएं!
ओ बी ओ के सभी सदस्यों को 11 वीं वर्षगांठ की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
सादर प्रणाम गुरु जी और सहृदय शुक्रिया ओ बी ओ
इक सीखने सिखाने का इतना खूबसूरत मंच और एक नेक दिल गुरु जी प्रदान करने के लिये
दिल से आभार बेतहाशा नियम वाले एडमिन साहब गणेश बागी जी दिल से धन्यवाद
1222 1222 1222 1222
शहंशाह ए ओ बी को सर ए नक़्क़ाद कहते हैं
बुलाते हैं समर गुरु जी मगर उस्ताद कहते हैं
ग़ज़ल गर सीखनी हो तो ओ बी ओ पर चले आना
यहाँ पर आने वालों को सभी, इरशाद! कहते हैं
वाह ओ बी ओ की सालगिरह पे बड़ा ही खूबसूरत तुहफ़ा आदरणीय की तरफ से....
आदरणीय सर् सादर नमस्कार।ओ बी ओ को ग्यारहवीं सालगिरह पर ग्यारह अश्आर से सजी ग़ज़ल की भेंट बहुत शानदार है।हर शे'र शानदार है।आपका सपना जल्दी ही पूरा हो।ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है। आमीन।
सादर।
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