आँखों के सावन में ......
ओ ! निर्दयी घन
जाने कितनी
अक्षत स्मृतियों को
अपनी बूँदों में समेटे
तुम फिर चले आये
मेरे हृदय के उपवन में
शूल बनकर
क्यों
मेरे घावों की देहरी को
अपनी बूँदों की आहटों से
मरहम लगाने का प्रयास करते हो
बहुत रिस्ते हैं
ये
जब -जब बरसात होती है
बहुत याद आते हैं
मेरे भीगे बदन से
बातें करते
उसके वो मौन स्पर्श
वो छत की मुंडेर से
उसकी आँखों का
बरसात में भीगते हुए
मेरा पीछा करना
उफ्फ
कितना अंगार भरा था वो लम्हा
जब उसने बरसात में
मेरी जुल्फों से गिरी बूँद को
अपनी हथेली में समेटा था
मेरी ठोड़ी पर रुकी बूँद को
अपनी उंगली की पोर पर लपेटा था
बेशर्म ने
बड़ी निर्लज्जता से
मेरे लबों को छेड़ा था
वो पेड़
वो लैंप पोस्ट
वो भीगते हुए लम्हों में
चाय की चुसकियाँ
आज भी
उन भीगते हुए तन्हा लम्हों में
बादलों के बिस्तर पर
हसीन स्मृतियाँ
अंगड़ाईयाँ लेती हैं
ओ! निष्ठुर बादल
जा लौट जा
वहीं उस खारे सागर के पास
और डुबो दे इन यादों को
कहीं गहरे सागर में
फिर भी अगर तू आता है
तो आ
मगर
उन यादों को अपनी बूँदों में
समेट कर मत ला
वरना
मेरी आँखों के सावन से
तू शर्मिंदा हो जाएगा
तेरी लाखों बूँदों पर
मेरी एक बूँद
भारी हो जाएगी
मेरी आँखों के सावन में
तेरा सावन डूब जाएगा
तेरा सावन
डू........ ब .... जा...... ए....... गा
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।
आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।
आदरणीय Samar kabeerजी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय कम्प्यूटर ठीक न होने के कारण प्रत्युतर में विलम्ब हुआ, दिल से क्षमा चाहूँगा।
आ. भाई सुशील जी सादर अभिवादन। इस भावपूर्ण रचना पर हार्दिक बधाई ।
आदरणीय सुशील सरना जी, आदाब।
अहसास को लफ़्ज़ों में पिरो कर इस लाजवाब रचना के सृजन के लिए बहुत बहुत दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।
जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें l
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। हर बार की तरह एक भावपूर्ण रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये। सादर
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