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ग़ज़ल ( नया ज़माना कभी न आया..)

(121 22 121 22 121 22  121 22)

नया ज़माना कभी न आया , पुरानी दुनिया बदल रही है
ज़मीन पैरों तले थी कल तक ,न जाने कैसे फिसल रही है

बुझा न पायेंगी आंधियाँ भी ,हवाओं से जिस की दोस्ती है
अभी तो शम्अ जवां हुई है ,अभी धड़ल्ले से जल रही है

किसी के अरमां मचल रहे हैं , हुई किसी की मुराद पूरी
यहाँ उठी है किसी की डोली, वहाँ से अरथी निकल रही है

निकल रहा है किसी का सूरज,अभी हुई दोपहर किसी की
हमारे दिन तो गुज़र चुके हैं , हमारी अब शाम ढल रही है

बुझाने वाले बहुत हैं लेकिन, जलाने वाले नहीं मिलेंगे
करो हिफ़ाज़त दिये की अपने,हवा भीअब तेज़ चल रही है

इन्होंने ही कल बनाई सड़कें , जिन्होंने मोटर भी है बनाई
जो लारियों से हैं बच के आए ,उन्हें ही सड़कें कुचल रही हैं!

सुकून मिलता है देख मुझको ,जवां दिलों के ये ख़ूं की गर्मी
जमी है सर्दी हमारे सीने , में धीरे - धीरे पिघल रही है

*मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by नाथ सोनांचली on May 8, 2020 at 11:24am

आद0 सालिक गणवीर जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। आद0 समर साहब की इस्लाह भी अति उत्तम। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Samar kabeer on May 7, 2020 at 9:27pm


/ महोदय मेरे मन मेंं एक शंका यह उठती है कि है कि दीया का अर्थ दीपक है और दिया का अर्थ तो दीपक नहीं.//

'दिया' का अर्थ भी दीपक ही है,आपने'मीर' का मशहूर शैर नहीं सुना:-

'दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है

चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है'

Comment by सालिक गणवीर on May 7, 2020 at 4:10pm
जनाब समर कबीर साहब
आदाब
हौसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रगुजार हूँ. आपकी सलाह पर अमल किया है. महोदय मेरे मन मेंं एक शंका यह उठती है कि है कि दीया का अर्थ दीपक है और दिया का अर्थ तो दीपक नहीं. आदरणीय उचित सलाह देकर शंका समाधान कर मुझ पर कृपा करें.
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 7, 2020 at 11:51am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on May 6, 2020 at 8:26pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'अभी तो शम्आ जवां हुई है ,अभी धड़ल्ले से जल रही है'

इस मिसरे में 'शम'अ' का वज़्न आपने 22 लिया है,जो ग़लत है, इसका वज़्न 21 होता है,देखियेगा ।

'करो हिफ़ाज़त दीये की अपने,हवा भीअब तेज़ चल रही है'

इस मिसरे में 'दीये' को "दिये" कर लें,मिसरा बेबह्र हो रहा है ।

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