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SALIM RAZA REWA's Blog (70)

दे सोच कर सज़ाएं गुनहगार हम नहीं - सलीम रज़ा रीवा

221   2121   1221   212 

दे सोच कर सज़ाएं गुनहगार हम नहीं

ये तू भी जानता है ख़तावार हम नहीं

-

जिस पर किया भरोसा वही दे गया  दगा

लेकिन किसी भी शख़्स से बे-ज़ार हम नहीं

-

दिल तो दिया था जान भी तुझपे निसार की

फिर क्यूँ  तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं    

-

जिनकी खुशी के वास्ते सब कुछ लुटा दिया

उफ़ वो ही कह रहे हैं वफादार हम नहीं

-

हैरत है दिल के पास थे जिनके सदा 'रज़ा'

अब तो उन्ही के प्यार के हक़दार हम नहीं

____________________

मौलिक व…

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Added by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 2:58pm — 15 Comments

रूठो न दिलदार कि होली आई है- होली गीत-सलीम रज़ा

रूठो न दिलदार कि होली आई है

झूम उठा संसार कि होली आई है

-

साजन हैं परदेस न भाए रंग-अबीर 

गोरी के आँखों से बहता झर-झर नीर

ख़त में साजन को ये लिखकर भेजा है 

तुम बिन नहीं क़रार कि होली आई है

-

होली के दिन बदला हर रुख़सार लगे 

रंग-बिरंगा होली का श्रंगार लगे

पिए भांग हैं मस्त फाग की टोली में 

बरसे रंग-फुहार कि होली आई है

-

होली के दिन बड़ों का आशीर्वाद रहे 

छोटो के संग होली का पल याद रहे

हर मज़हब के लोग खुशी मे खोए हैं 

रंगो का…

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Added by SALIM RAZA REWA on March 1, 2018 at 5:51pm — 25 Comments

ख़ाब इतने न दिखा दे मुझको - सलीम रज़ा रीवा

2122 1122 22

पहले ग़लती तो बता दे मुझको
फिर जो चाहे वो सज़ा दे मुझको
oo
सारी दुनिया से अलग हो जाऊँ
ख़ाब इतने न दिखा दे मुझको
oo
हो के मजबूर ग़म-ए-दौरां से
ये भी मुमकिन है भुला दे मुझको
oo
या खुदा वक़्त-ए-नज़ा से पहले
उसका दीदार करा दे मुझको
oo
साथ चलना हो 'रज़ा' नामुमकिन
ऐसी शर्तें  न सुना दे मुझको 


_____________________
 मौलिक व अप्रकाशित

Added by SALIM RAZA REWA on February 26, 2018 at 8:00pm — 10 Comments

मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122 22

मेरा हमदम है तो हर ग़म से बचाने आए

मुश्किलों में भी मेरा साथ निभाने आए

oo

चाँद तारे भी यहाँ बन के दिवाने आए 

उनकी खुश्बू के समन्दर में नहाने आए 

oo

रश्क करते हैं जिन्हे देखकर सितारे भी 

मस्त नज़रों से वही जाम पिलाने आए

oo

उनके दीदार से आंखों को सुकूं मिलता है 

ख़ुद से कर-कर के कई बार बहाने आए

oo

उनकी निसबत से…

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Added by SALIM RAZA REWA on February 14, 2018 at 8:00pm — 9 Comments

हमने तुम्हारे वास्ते क्या क्या नहीं किया - सलीम रज़ा

221 2121 1221 212 

हमने तुम्हारे वास्ते क्या क्या नहीं किया

अफ़सोस तुमने हमपे भरोसा नहीं किया

oo

आया है जब से नाम तुम्‍हारा ज़बान पर 

होटों ने फिर किसी का भी चर्चा नहीं किया

oo

ज़ुल्मों सितम ज़माने के हंस हंस के सह लिए

लेकिन कभी ईमान का सौदा नहीं किया 

oo

अमनो अमां से हमने गुज़ारी है ज़िंदगी 

मज़हब के नाम पर कभी झगड़ा नहीं किया

oo

उम्मीद उस बशर से करें क्या वफ़ा की हम

जिसने किसी के साथ भी अच्छा नहीं किया…

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Added by SALIM RAZA REWA on February 6, 2018 at 10:30pm — 14 Comments

जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212 

जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ

ग़म भी लगे हुए हैं मगर ज़िन्दगी के  साथ

-  

नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ 

दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ

-  

आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे

कुछ दिन गुज़ार ले तू मेरी ज़िन्दगी के साथ

-  

ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में

यूँ ही नहीं है प्यार हमें  शायरी के…

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Added by SALIM RAZA REWA on February 4, 2018 at 10:00am — 18 Comments

दूर दामन से तेरे गर्दिश-ए-अय्याम रहे - SALIM RAZA REWA

2122 1122 1122  22/112

ये हमारी है दुआ शाद तू गुलफा़म रहे

दूर ही तुझसे सदा गर्दिश-ए-अय्याम रहे

-

सारी दुनिया में तेरे इल्म की महके ख़ुश्बू

जब तलक चाँद सितारें  हों तेरा नाम रहे

-

इस तरह तेरे तसव्वुर में मगन हो जाऊँ

मुझको अपनों से न ग़ैरों से कोई काम रहे

-

जब तेरी दीद को हम शहर में तेरे पहुंचें

अपने दामन से न लिपटा कोई इल्ज़ाम रहे

-

तेरी ख़ुशहाली की हरपल ये दुआ करते हैं 

तेरे  दामन  में  ख़ुशी  सुब्ह रहे शाम रहे …

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Added by SALIM RAZA REWA on February 1, 2018 at 7:30am — 26 Comments

हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया- सलीम रज़ा

221 2121 1221 212

हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला दिया

दुश्वारियों को पांव के नीचे दबा दिया

-

मेरी तमाम उँगलियाँ घायल तो हो गईं

लेकिन तुम्हारी याद का नक्शा मिटा दिया  

-

मैंने तमाम छाँव ग़रीबों में बांट दी

और ये किया कि धूप को पागल बना दिया

-

उसके हँसीं लिबास पे इक दाग़ क्या लगा 

सारा  ग़ुरूर ख़ाक़ में उसका मिला दिया 

-

जो  ज़ख्म  खाके भी रहा है आपका सदा 

उस दिल पे फिर से आपने खंज़र चला दिया

-

उसने निभाई ख़ूब मेरी दोस्ती "…

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Added by SALIM RAZA REWA on January 22, 2018 at 9:55pm — 20 Comments

तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता - सलीम रज़ा रीवा

 2122 1212 22 

तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता

दिल ये तुझपे फ़िदा नहीं होता   

-

इश्क़ तुमसे किया नहीं होता 

ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता

-

ज़िन्दगी तो  संवर गयी  होती 

ग़र वो मुझसे जुदा नहीं होता

-

उसकी चाहत ने कर दिया पागल 

प्यार  इतना  किया  नहीं  होता 

-

सबको दुनिया बुरा बनाती है

कोई इंसाँ बुरा नही होता

-

चोट खाएँ भी मुस्कुराएँ भी

अब रज़ा हौसला नहीं होता. …

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Added by SALIM RAZA REWA on January 13, 2018 at 10:30pm — 21 Comments

मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता है -SALIM RAZA REWA

 221 2122 221 2122

मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता है

जो यक-ब-यक ही मुझसे तू हो गया ख़फ़ा है

-

कुछ भी नहीं है शिकवा कुछ भी नहीं शिकायत

क़िस्मत में जो है मेरे  वो मुझको मिल रहा है

-

आंखों में नींद रुख़ पर गेसू बिखर रहे हैं

हिज्र-ए-सनम में शायद वो जागता रहा है

-

शाख़-ए-शजर हैं सूखी मुरझा गई हैं कलियाँ

गुलशन हुआ है वीरां कैसा ग़ज़ब हुआ है

-

इक पल में रूठ जाना इक पल में मान जाना 

उसकी इसी अदा ने दीवाना कर दिया है…

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Added by SALIM RAZA REWA on January 10, 2018 at 11:30pm — 11 Comments

जो अपने माँ-बाप के - सलीम रज़ा

22 22 22 22 22 2

जो अपने माँ-बाप के दिल को दुखाएगा

चैन-ओ- सुकूँ वो जीवन भर ना पाएगा

-

हक़ बातें तू हरगिज़ ना कह पाएगा

अहसानों के तले  अगर दब जाएगा

-

उस दिन दुनिया ख़ुशिओं से भर जाएगी

जिस दिन प्रीतम लौट के घर को आएगा

-

भूँखा -प्यासा जब देखेगी बेटों को

माँ का दिल टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा

-

उसकी मुरादें सब पूरी हो जाएंगी

दर पे उसके जो दामन फैलाएगा

-

मेरी…

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Added by SALIM RAZA REWA on January 7, 2018 at 6:00pm — 12 Comments

वज़्म ये सजी कैसी कैसा ये उजाला है - सलीम रज़ा

212 1222 212 1222

बज़्म ये सजी कैसी कैसा ये उजाला है

महकी सी फ़ज़ाएँ हैं कौन आने वाला है

-

चाँद जैसे चेहरे पे तिल जो काला काला है

मेरे घर के आँगन में सुरमई उजाला है

-

इतनी सी गुज़ारिश है नींद अब तू जल्दी आ 

आज मेरे सपने में यार आने वाला है

-

जागना वो रातों को भूक प्यास दुख सहना

माँ ने अपने बच्चों को मुश्किलों से पाला है

-

उसके दस्त-ए-क़ुदरत में ही निज़ाम-ए-दुनिया है

इस जहान-ए-फ़ानी को जो बनाने वाला है

-…

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Added by SALIM RAZA REWA on January 4, 2018 at 5:30pm — 28 Comments

मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते - सलीम रज़ा

2122 2122 2122 212

.

मुश्किलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए

ग़ैर से क्या  हो गिला अपने  बेगाने हो गए

-

चंद दिन के फ़ासले के बा'द हम जब भी मिले

यूँ लगा जैसे  मिले  हमको ज़माने  हो गए

-

पतझड़ों  के साथ मेरे दिन गुज़रते थे कभी

आप के आने से मेरे  दिन  सुहाने हो  गए

-

मुस्कराहट उनकी  कैसे भूल पाएगें  कभी

इक नज़र देखा जिन्हें औ हम दिवाने हो गए

-

आँख में शर्म-ओ-हया, पाबंदियाँ, रुस्वाईयां

उनके न  आने  के  ये…

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Added by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:00pm — 18 Comments

साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता- सलीम रज़ा रीवा

212 1222   212 1222

साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता

मेरे घर में खुशियों का सिलसिला नहीं होता 

-

राह पर सदाक़त की गर चला नहीं  होता 

सच हमेशा कहने का  हौसला नहीं होता

-

कोशिशों से  देता  है  रास्ता समंदर भी

हौसला रहे क़यिम फिर तो क्या नहीं होता

-

कम खुशी नहीं होती मेरे घर के आँगन में 

दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता

-

थोड़े ग़म ख़ुशी थोड़ी,थोड़ी सिसकियाँ भी है

ज़िन्दगी से अब हमको कुछ गिला नहीं होता

-

डूबती नहीं कश्ती पास…

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Added by SALIM RAZA REWA on December 27, 2017 at 9:00pm — 20 Comments

रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो - सलीम रज़ा रीवा

 212 212 212 212 -

रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो

गीत ख़ुशिओं के हर वक़्त गाते रहो

-

मोतियों  की तरह जगमगाते रहो

बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो

-

जब तलक आसमां में सितारें रहें

ज़िंदगी में  सदा  मुस्कुराते  रहो

-

इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे

दोनों हांथों से  उनको  लुटाते  रहो

-

सिर्फ़ कल की करो दोस्तों फिक़्र तुम

जो गया वक़्त उसको भुलाते रहो

-

हम भी तो आपके जां  निसारों में हैं

क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते…

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Added by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 4:55pm — 21 Comments

दामन को तीरगी से बचाते चले गए - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212 

दामन को तीरगी से बचाते चले गए

ईमाँ की रोशनी में  नहाते चले गए

 -

हम दर-बदर की ठोकरे खाते चले गए

फिर भी तराने प्यार के गाते चले गए

 -

कोशिश तो की भंवर ने डुबोने की बारहा

हम कश्ती-ए-हयात बचाते चले  गए

 -

रुसवाईयों के डर से कभी बज़्में नाज़ में

हंस-हंस के दिल का दर्द छुपाते चले गए

 -

अपना रहा ख़्याल न कुछ होश ही रहा

आँखों में उनकी हम तो समाते चले गए

 -

करता है जो सभी के मुक़द्दर का…

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Added by SALIM RAZA REWA on December 5, 2017 at 6:00pm — 16 Comments

तेरे प्यार में दिल को बेक़रार करते हैं - सलीम रज़ा रीवा

212 1222 212 1222

तेरे प्यार में दिल को बेक़रार करते हैं

रात - रात भर तेरा इंतज़ार करते हैं

-

तुमको प्यार करते थे तुमको प्यार करते हैं

जाँ निसार करते थे जाँ निसार करते हैं

-

ख़ुश रहे हमेशा तू हर ख़ुशी मुबारक हो

ये दुआ खुदा से हम बार - बार करते हैं

-

उँगलियाँ उठाते हैं लोग दोस्तों पर भी

हम तो दुश्मनों पर भी ऐतबार करते हैं

-

वादा उसका सच्चा है लौट के वो आएगा

इस उमीद पर अब भी इंतज़ार करते…

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Added by SALIM RAZA REWA on November 22, 2017 at 8:30am — 6 Comments

छोड़कर दर तेरा हम किधर जाएँगे - सलीम रज़ा रीवा

212 212 212 212

छोड़कर दर तेरा हम किधर जाएँगे

बिन तेरे आह भर-भर के मर जाएँगे

 -

चाँद भी देख कर उनको शरमाएगा 

मेरे महबूब जिस दम संवर…

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Added by SALIM RAZA REWA on November 20, 2017 at 10:00am — 15 Comments

चांद का टुकड़ा है या कोई परी या हूर है - सलीम रज़ा रीवा

2122 2122 2122 212

चांद  का टुकड़ा है या कोई  परी या हूर है 

उसके चहरे पे चमकता हर घड़ी इक नूर है

-

हुस्न पर तो नाज़ उसको ख़ूब था पहले से ही …

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Added by SALIM RAZA REWA on November 17, 2017 at 10:30am — 14 Comments

सबसे छोटा क़ाफ़िया और सबसे बड़ी रदीफ़ पर एक और ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा



212 212 212 212, 212 212 212 212

-

जब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी /

लब तुम्हारी महब्बत में खो…

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Added by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 9:00am — 21 Comments

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