ऐ मेरे दोस्त मोहब्बत को बचाए रखना
दिल में ईमान की शम्अ' को जलाए रखना
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इस नए साल में खुशियों का चमन खिल जाए
सबको मनचाही मुरादों का सिला मिल जाए
इस नए साल में खुशियों की हो बारिश घर घर
इस नए साल को ख़ुश रंग बनाए रखना
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जान पुरखों ने लुटाई है वतन की ख़ातिर
गोलियाँ सीने में खाई है वतन की ख़ातिर
सारे धर्मों से ही ताक़त है वतन की मेरे
सारे धर्मों की मोहब्बत को बनाए रखना
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ज़ात के नाम पे दंगों को कराने वालो
बाज़ आ जाओ मोहब्बत को मिटाने वालो
धर्म के नाम पे यूँ आग लगाने वालो
ख़ुद के दामन को भी जलने से बचाए रखना
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क्यूँ मिटाने में लगे हो ये चमन की ख़ुश्बू
ख़ून से सींचा तो पाई है वतन की ख़ुश्बू
हर तरफ जलने लगा है ये वतन का आंचल
लाज इस मां की मेरे यार बचाए रखना
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सारी दुनियां में मोहब्बत की ज़बाँ हो जाए
सारी दुनियां में ख़ुशी अम्न-ओ-अमाँ हो जाए
भूल कर भी न कोई भूल हो हरगिज़ हमसे
हम पे भी नज़रे करम अपनी बनाए रखना
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दिल से नफ़रत की दीवारों को गिराना होगा
दोस्त बनकर के गले सबको लगाना होगा
जिसकी ख़ुश्बू से महक जाए सभी का आँगन
ऐसे फूलों को भी गुलशन में लगाए रखना
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"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है। अनेकता मे एकता कायम रखना ही हमारा धर्म होना चाहिए। बहुत बहुत बधाई।
आ. भाई सलीम रजा जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
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