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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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जनाब तस्दीक़ अहमद साहब, बहुत ही प्यारी ग़ज़ल कही है आपने, बहुत बहुत बधाई आपको।

जनाब तस्दीक अहमद साहब ..ख़ूबसूरत अशआर कहे हैं ढेर सारी दाद कबूल कीजिये|

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय तस्दीक साहब | हार्दिक बधाई आपको| 

आदरणीय तस्दीक साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई

आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल मुशायरे में आपकी पढ़ने को मिली। बहुत उम्दा। शैर दर शैर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। सादर

प्रथम प्रस्तुति 

ख़्वाब एसे दिखा गया है मुझे
जैसे अपना बना गया है मुझे

हाँ म हाँ क्या मिला दी बातों में 
वो समझता है पा गया है मुझे

गोया मैं इक नदी हूँ भटकी सी 
अपनी रौ में बहा गया है मुझे

जो मुखौटा पहन के रहता था 
आइना वो दिखा गया है मुझे

दास्ताँ उसकी मेरे जैसी थी 
जाते जाते रुला गया है मुझे

उसके तानों को सुनके ऐसा लगा 
जैसे नश्तर चुभा गया है मुझे

बनके आया था नाख़ुदा मेरा 
पर भँवर में  डुबा गया है मुझे

जब कभी दिल करे तो लौट आना 
सब्र करना तो आ गया है मुझे

मौलिक एवं अप्रकाशित 

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी मुशाइरे की गोल्डन जुबली पर आपको व ओबीओ के समस्त परिवार को हार्दिक बधाई मुबारकबाद 

मुहतरमा राजेश साहिबा,

अच्छी ग़ज़ल कही, मुबरकबाद आपको

बहुत बहुत शुक्रिया अफरोज़ साहब 

आ. राजेश दीदी
उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आद० नीलेश भैया ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ बहुत बहुत शुक्रिया .और मुशाइरे की गोल्डन जुबिली की मुबारकबाद स्वीकार करें |

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सदस्य कार्यकारिणी
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