आदरणीय साथिओ,
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निरूत्तर
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दीपावली नजदीक आ रही थी.बच्चों की छुट्टियां लग गई थी. घर के बड़े से लेकर बच्चे सभी अपना अपना बेकार का सामान बाहर निकाल रहे थे.रीना, मीना ने पोटली लाकर अपनी मम्मी सीमा के पास रख देती हैं.
उत्सुकता से रीना पोटली से फ्रॉक उठाकर सीमा से कहती हैं- 'मम्मी,ये तो अभी अच्छी हैं,क्यों दे रही हो?"
"बेटा,किसी को ऐसी चीज देना चाहिए,कि वो कुछ दिन पहन सके," समझते हुए सीमा,पूजा घर में चली गई.
पीछे-पीछे रीना,मीना भी आकर पूछने लगी- "पर मम्मी ,ये किसे देंगे?"
"अपनी बर्तन वाली आंटी के बच्चों को........,"प्रतिउत्तर में सीमा बोली.
मीना बीच में बोल पड़ी- "तो मम्मी ,क्या ,उनके पास पैसे नहीं हैं?
"कुछ ऐसा ही समझ लो,"सीमा ने जबाव दिया।
पूजा घर की सफाई में दोनों हाथ बटाने लगी.भगवान के कुछ पुराने कपड़े निकालते हुए रीना से कहा- "ये कपड़े भी आंटी की थैली में रख दो.
मम्मी,तो क्या आंटी के भगवान भी गरीब हैं?" सीमा का हाथ पकड़ते हुए मीना पूछती हैं.
हां,मम्मी बताईये ना,क्या आंटी के बच्चों की तरह उनके भगवान अपने भगवान की तरह नए कपड़े नहीं पहन सकते?" रीना भी पूछने लगी.
दोनों के अनायास ही इस तरह के प्रश्नों की वर्षा के समक्ष सीमा निरूत्तर सी बगले झाँकने लगी.
मौलिक व अप्रकाशित
विषयांतर्गत बढ़िया प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। विभिन्न वस्त्रों/पोशाकों रूपी मानवेतर पात्रों के माध्यम से भी बढ़िया मानवेतर लघुकथा इस कथानक पर कही जा सकती है बढ़िया पंचपंक्ति युक्त।
आभार आदरणीय सरजी ,मार्गदर्शन के लिए.लिखने का प्रयास करूँगी।
मुह तरमा बबिता साहिबा , प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l
आभार आदरणीय सरजी।
मम्मी,तो क्या आंटी के भगवान भी गरीब हैं?" // बाल मन की सटीक दृष्टि बढ़िया कथा। . हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता जी
आभार आदरणीया दी.
बच्चों के बाल सुलभ प्रश्न, बढ़िया प्रयास विषय पर लिखने का. बहुत बहुत बधाई आ बबिता गुप्ता जी
दिए गए विषय पर सुंदर लघुकथा आदरणीय बबीता जी ,बधाई आपको ,सादर
आदरणीया बबिता गुप्ता जी, अच्छी लघुकथा हुई है। बधाई स्वीकार करें।
दिए गए विषय पर व्यस्क और एक बच्चे, दोनों के अलग दृष्टिकोण को सामने रखती सुंदर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय बबीता जी, सादर ..
मुहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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