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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 91 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-92

विषय - "धूप-छाँव"

आयोजन की अवधि- 15 जून 2018, दिन शुक्रवार से 16 जून 2018, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 15 जून, 2018, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरणीय समर कबीर साहब, aadab सबसे पहले तो आपको सैवइयों में लिपटी महब्बत की मिठास के पर्व ईद उन फित्र की बहुत-बहुत मुबारकवाद। इतनी व्यस्तता के बाद भी आपने अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराया इसके लिए तहेदिल से शुक्रिया। आपकी सक्रियता दर्शाती है कि आपकी दुआएं हमारे साथ हैं। क्योंकि हम तो इतने व्यस्त रहे कि अब जाकर थकी-मांदी हालत में कुछ कह पा रहे हैं। कल और भी व्यस्त शेड्यूल है। सबसे मिलकर दिल से यही सदां आती है कि अपने देश में, दुनिया में इसी तरह प्रेम, भाईचारा, एकता बनी रहे, बहुत सुकून मिलता है। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। दुआओं का तलबगार

ईद की बधाई के लिए आपको धन्यवाद,आप नज़दीक होते तो आपके साथ ईद मनाते ।

ओ....शुक्रिया सर जी, भोपाल में गंगा-जमुनी तहजीब की सदियों पुरानी रवायत है उसी को हम पूरे आदर-सत्कार से निभा रहे हैं। ये बड़ा ही अजीब इत्तेफाक है या कहें कि हमारी खुशकिस्मती की एक ईद से पहले हमारे यहां से अकीदतमंद हज के लिए जाते हैं और एक ईद पर सऊदी अरब से यहां ईद मनाने को आते हैं। आज फाॅदर के पुराने दोस्तों से मिला, बहुत अच्छा लगा। कई घरों में तो ईद पर इतना सत्कार मिला कि अभिभूत हो गया। ये दो त्यौहार ऐसे होते हैं जब हम खुद को भावुक होने से नहीं रोक पाते एक तो ईद उल फित्र और दूसरा रक्षाबंधन। ईद पर हम पापा जी के साथ जाते हैं सेवइयां दही-छोले का लुत्फ उठाते हैं और रक्षाबंधन पर हम कई तरह की मिठाईयों से मुंह मीठा कराते हैं। खुशकिस्मती ये कि नई पीढ़ी भी तहेदिल से ये रवायत निभा रहे हैं। इंशा अल्लाह आप से जब मुलाकात होगी तभी ईद मना लेंगे फिलहाल तो त्रिपुरारि जी का शेर याद आ रहा है ऐ हवा तू ही उसे ईद.मुबारक कहियो और कहियो कि कोई याद किया करता है

 हमारे देश में आना लगेगी धूप—छांव

मिलेंगे रंग कई देखना शहर—ओ—गांव// वाह .. भारत के  गौरव का उत्सव मनाता बढ़िया गीत   हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष श्रीवास्तव जी  

सम्मानीय कवयित्री जी सादर नमस्कार! आपकी प्रतिक्रिया ने मन के उद्गारों को जैसे पूर्णतः प्रदान कर दी है। आपकी प्रतिक्रियाओं से लगा आपको साहित्य की अच्छी जानकारी है और मात्राओं के बारे में भी पता है। हम तो नये हैं अधिक नहीं जानते, यदि ऐसी कोई कमी अथवा सुधार की गुंजाइश तो अवश्य ही हमारा भी ध्यान आकर्षित कीजिएगा। हमें बुरा नहीं लगेगा, बल्कि सुधार का, सीखने का अवसर ही मिलेगा। आपकी टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। और हां, भविष्य में थ्रेड चैंज की गलती न हो, इसके लिए भी मार्गदर्शन करने की कृपा कीजिएगा। पुनश्च धन्यवाद। आशीर्वाद का सदैव आकांक्षी

आदरणीय आशीष जी प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई 

आदरणीय सत्यनारायण जी। प्रणाम। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए किसी प्रमाण-पत्र से कम नहीं है। हमें बहुत अच्छा लगा कि आपने ध्यान से हमारे लिखे को पढ़ा और हमें अवगत कराया। हम पूरे सम्मान से आपके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हैं और आशा करते हैं कि भविष्य में आपका सहयोग बना रहेगा। आपकी शुभकामनाओं का अभिलाषी।

आदरणीय तसदीक़ अहमद साहब, बहुत बहुत आभार ।

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आदाब,

                            ज़िंदगी की  आपा-धापी के बीच आम आदमी के संघर्ष को बयाँ करती और प्रदत्त विषय का प्रतिनिधित्व करती बेहतरीन रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीया दी,नमस्कार, धूप-छाँव सम जीवन  जीने को प्रेरित करती बेहतरीन रचना ,हार्दिक बधाई दी.

आदरणीया नीलम जी विषय को चरितार्थ करती हुई आकर्षक पंक्तियाँ जैसे नर्तन कर रही बहुत अच्छी लगी, इसके लिए बहुत बहुत बधाई

 आदरणीय छोटे लाल जी, उत्साहवर्धन के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ।

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