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ASHISH SHRIVASTAVA's Discussions (161)

Discussions Replied To (161) Replies Latest Activity

"नियति     ऊंचे पहाड़ों पर जमीं सफेद, चमकीली बर्फ रो रही है। पूर्णिमा की रात चंद्रमा…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Nov 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-44 (विषय: परिणाम)

234 Nov 30, 2018
Reply by Barkha Shukla

"आदरणीय विनय जी। धन्यवाद आपको लघुकथा पसंद आई। प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"सम्मानीय लेखिका महोदया। सादर नमस्कार। आपके विचारों ने लिखने का उत्साह बढ़ाया है व्यस्…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"सम्मानीय लेखिका महोदया। सादर नमस्कार। आपके विचारों ने लिखने का उत्साह बढ़ाया है व्यस्…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"आदरणीय ओमप्रकाश जी। धन्यवाद आपको लघुकथा पसंद आई। दरअसल ओबीओ के मंच पर रचना प्रेषित क…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"आदरणीय जनाब शेख शहजाद उस्मानी साहेब। आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई इसके लिए तहेदिल से…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"कैद या रिहाई एक बंगले में पिंजरे में बंद तोता और एक पेड़ से उड़कर बंगले की खिड़की पर आक…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"आदरणीय मनन कुमार जी। फूल, कलियां और भौंरों के माध्यम से आपने इंसानी विशेषकर निर्दोष…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"आदरणीय डॉक्टर साहेब। ठेकेदारी प्रथा और देश के मानव संसाधन का समुचित उपयोग न होने से…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

"आदरणीय ओमप्रकाश जी। बहुत ही सुंदर तरीके से आपने मोबाइल के (दुर) उपयोग पर चित्रण किया…"

ASHISH SHRIVASTAVA replied Oct 30, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-43 (विषय: "आजकल")

221 Oct 31, 2018
Reply by Dr. Vijai Shanker

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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,यह ग़ज़ल तरही ग़ज़ल के साथ ही हो गयी थी लेकिन एक ही रचना भेजने के नियम के चलते यहाँ…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
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Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
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अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
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