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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन । 

पिछले 87 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :


"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-88

विषय - "चार लोग"

आयोजन की अवधि- 9 फरवरी 2018, दिन शुक्रवार से 10 फरवरी 2018दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल

नज़्म

हाइकू

सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु,  एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.    

  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.


आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 9 फरवरी 2018, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें


मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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आ. भाई नादिर जी, प्रशंसा के लिए आभार । बेहतरीन सलाह के लिए धन्यवाद । भविष्य में आपकी बात अवष्य स्मरण रखूँगा ।

     द्वितीय प्रस्तुति- दोहावली


चार लोग  से  दोस्ती, चार लोग से लाज
देती है सबको सदा, एक चमकता आज।१।


चार लोग कुछ कह न दें, मन में थी जब सोच
इक दूजे  को  हम  सभी, नहीं  रहे  थे  नोच।२।


चार लोग जब से गये, सब के मन से यार
सामाजिकता हो गयी, हम सब की बीमार।3।


मात पिता  गुरु देवता, लोग  यही वो चार
सद जीवन का जो रहे, हर युग में आधार।४।


चार लोग जिस ओर भी, जुटकर बनते भीड़
सृजन  से  जादा  करें, तहस नहस  हर नीड़।५।


पत्नी सुत दामाद औ, सखा कहे संसार
चार लोग अच्छे मिले, तो भवसागर पार।६।


डॉक्टर साहूकार दो, दो हैं पुलिस वकील
चार लोग ये आज कल, कच्चा जाते लील।७।


चार लोग बारात में, बनकर जुटें कहार
चार लोग ही सच रहे, अर्थी को तैयार।८।


मौलिक-अप्रकाशित

वाह। प्रदत्त विषय को लेकर आंखें खोलने वाली बेहतरीन दोहावली सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब।

मैं भी सोच रहा था कि लोकतंत्र के चार स्तंभों को ' चार लोगों' के बिम्ब में लेकर कुछ लिखूं, लेकिन अब तक नहीं लिख सका। आशा है कि इस तरह की रचनाएं भी आयेंगी।

आ. भाई शेख शहजाद जी, अभिवादन। रचना पर आपके समर्थन ने उत्साहवर्धन हुआ । आभार ।

लोकतंत्र के स्तम्भों पर अवश्य लिखिए। आपके बेहतरीन लेखन का इंतजा र रहेगा । 

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,

                                  बहुत भी सशक्त दोहे । समाज में चार किस प्रकार के चरित्र वाले लोग हैं इन दोहों में आसानी से देखा जा सकता है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

आ. भाई आरिफ जी, हार्दिक धन्यवाद।

चार लोग बारात में, बनकर जुटें कहार
चार लोग ही सच रहे, अर्थी को तैयार।८।//  सच है ...दूसरी प्रस्तुति भी शानदार है ...हार्दिक बधाई आपको  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी 

आ. प्रतिभा जी, प्रशंसा के लिए आभार।

जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,प्रदत्त विषय पर अच्छे दोहे हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें। दोहा4 और 7 के प्रथम चरण में 14 मात्रा हो रही हैं ,

मात पिता गुरू देवता ---गुरू देवता मां पिता ,  डॉक्टर साहूकार दो --साहूकार हकीम दो । सादर

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंसा और नेक सलाह के लिए आभार ।

दोहे सुंदर हैं कहे,विषय हुआ साकार

बहुत बधाई लीजिए,देते बारम्बार

आ. भाई सतविन्द्र जी, छन्दबद्ध प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।

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