For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-20 (विषय: तस्वीर का दूसरा रुख़)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 19 आयोजनों की अपार सफ़लता के बाद "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 19  में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-20
विषय : "तस्वीर का दूसरा रुख़"
अवधि : 29-11-2016 से 30-11-2016 
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 29 नवम्बर  2016 लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2.  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13273

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, पंच लाइन ने लघुकथा को सार्थक आयाम तक पहुँचा दिया है इसने लघुकथा में अन्य अगर कोई कमी भी रह गई है तो उस पर भी पर्दा डाल दिया है। इस बढ़िया लघुकथा के लिए मेरी तरफ से बधाई स्वीकार करें। 

आ० खनगवाल जी , शुक्रिया.

प्रदत्त विषय से न्याय करती बढ़िया लघुकथा है आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन जी यद्यपि कुछ शब्दों को कम करने की आवश्यकता है। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई प्रेषित है।

आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी , सुन्दर प्रस्तुति , बधाई , सादर।

आ० तेज वीर जी सादर साभार .

आपके मत से सहमत . सादर महेंद्र जी

आदरणीय गोपाल  नारायण जी, इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर

परवरिश--
सुरजू बुरी तरह निराश हो गए थे, उनको लगा जैसे उनके जीवन भर की कमाई जैसे एक पल में लुट गयी हो| अपने खानदान के सबसे बड़े होने के चलते उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि उनकी अपनी पत्नी या अपने बच्चे कौन हैं, सबको एक बराबर देखते रहे| बल्कि हमेशा भाईयों के बच्चों को ही ज्यादा लाड़ किया और कभी परवाह नहीं की कि उनके अपने बच्चे बुरा मान सकते हैं| कई बार उन्होंने अपनी पत्नी को भी डांट दिया था कि यह पूरा परिवार ही उन सबका है|
आज उनका बड़ा भतीजा अपनी नौकरी से लौट कर आया तो सबसे ज्यादा ख़ुशी उनको ही थी| जब तक वह घर नहीं आया था, सुरजू बार बार समय देख रहे थे कि अब तक आया क्यों नहीं| गांव में कुछ ही बसें चलती थीं और एक बस निकल गयी तो दूसरी के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता था| भतीजे ने जैसे ही घर में कदम रखा, उन्होंने लपक कर उसको गले लगा लिया और उससे सवाल करना शुरू कर दिया| लेकिन उसने उनकी एकाध बात का जवाब दिया और जल्दी से अपनी माँ के कमरे में घुस गया| थोड़ा अजीब तो लगा सुरजू को, लेकिन फिर उन्होंने भतीजे का माँ के लिए प्रेम समझ कर ध्यान नहीं दिया|
कुछ ही देर में भाई भी आ गया और उसके आते ही भतीजा लपक कर उसके पास आया और एक बढ़िया सा कुर्ता निकाल कर देते हुए बोला "पापा, मेरी पहली तनख्वाह में से ये आपके लिए लाया हूँ| पहन कर देखिये जरा"| भाई ने एक बार कुर्ते को देखा और फिर उसका ध्यान सुरजू की तरफ गया| तब तक भतीजे को भी समझ में आ गया कि उसने गलती कर दी| हड़बड़ाहट में उसने कहा "आपके लिए भी लाया हूँ बड़े पापा", और कमरे की तरफ भागा| सुरजू ने मुस्कुराने की कोशिश की और बाहर निकल गए|
कहाँ गलती कर दी उन्होंने, इसी उधेड़बुन में डूबे सुरजू दालान में बैठे हुए थे कि सामने कुछ आहट हुई| उन्होंने देखा कि भाई, भतीजा और उसकी माँ सब खड़े हैं और उनके पीछे उनकी पत्नी भी हैं| भाई ने कुर्ता उनके ऊपर रखा और भतीजा उनके पैर के पास बैठ गया| किसी ने कुछ भी नहीं कहा लेकिन उनको अपनी परवरिश पर नाज हो आया|
मौलिक एवम अप्रकाशित

मुहतरम  जनाब  विनय कुमार    साहिब   ,  प्रदत्त विषय को परिभाषित करती लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं  ----

बहुत बहुत आभार मुहतरम जनाब तस्दीक अहमद खान साहब 

मैं भी आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी की टिप्पणी से सहमत हूँ। इस सुंदर विषय पर समस्त सुधीजन की बेहतरीन अनुपम लघुकथाओं की प्रतीक्षा हमें रहती है।

बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद भाई, मैं भी सहमत हूँ 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service