For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो शब्द चित्र (गणेश जी बागी)

दो शब्द चित्र

1-

दरकिनार हुए...

अनुभव, योग्यता

कार्य-कुशलता,

कर्तव्य-परायणता,

मधुरता, चाल-चलन, चरित्र

ध्वस्त हुई....

न्याय प्रणाली

हावी हुई....

पैरवी और चापलूसी

आकलन का पैमाना बनी 

जाति

और

मुझे समीक्षा करनी पड़ी

स्वयं के

आरक्षण विरोधी होने पर.

2-

हर्ष व कष्ट मिश्रित

वो नौ माह

तत्पश्चात

बिटिया का आगमन

गलियारे के बाहर

परिजनों की आवाज

उफ्फ..

फिर बेटी !

अथाह वेदना....

प्रसव पीड़ा

कुछ भी न थी.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 690

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on August 11, 2016 at 10:46am

दो गंभीर मुद्दे। जाती के आधार पर योग्यता का मूल्यांकन सर्वथा अनुचित। फिर भी जाती के आधार आज भी प्रतिभा परखी जाती है। 

प्रसव पीड़ा

कुछ भी न थी.

यह पंक्ति सब कुछ बयान कराती है। 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 11, 2016 at 1:49pm

आदरणीय बागी जी सादर नमस्कार, देश की दो गंभीर समस्याओं के बहुत सटीक शब्द चित्र खींचें हैं आपने. दोनों पर ही देश समाज को अपनी समझ बढाने एवं पुनर विचार की आवश्यकता है. सादर.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 11, 2016 at 9:39am

आत्म-मंथन के शब्द चित्र पूरे समाज को झकझोर रहे हैं...हार्दिक बधाई आदरणीय गनेश जी बागीजी.....सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on July 10, 2016 at 9:35pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश  जी बागी जी! बहुत शानदार रचनायें!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 10, 2016 at 3:02pm

आदरणीय समर साहब, काफ़ी व्यस्तता के मध्य कुछ भाव आ गए फलस्वरूप कविता स्वरुप ले सकी, आपको कविता पसंद आयी यह जानकार मन मुग्ध है, बहुत बहुत आभार.

Comment by Samar kabeer on July 10, 2016 at 12:39pm
जनाब "बाग़ी"जी आदाब,दोनों रचनाएँ दिल में उत्तर गईं,दिल से बधाई स्वीकार करें ।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 9, 2016 at 11:58am

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, रचना आपको अच्छी लगी लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 8, 2016 at 8:03pm
पहचान-पत्र नहीं
जाति प्रमाण-पत्र
लोगों को पकड़ा दिया ,
पकड़े रहो , सम्भाले रहो ,
दिखाते रहो .........
जाति-व्यवस्था मिटाने के लिए।
दोनों रचनाएं बहुत ही सामयिक , सार्थक। दूसरी निशब्द कर देती है ,
ईश्वर जन्म नहीं रोकता ,
वे जुबान।
बधाई, आदरणीय गणेश जी "बागी" जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
48 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service