For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : श्रद्धांजलि (गणेश जी बागी)

श्रद्धांजलि
राज पथ पर अवस्थित
शहीद चौक ..
लोगो का हुजूम
मिडिया वालों का आवागमन
चकमक करते कैमरे
चमकते-दमकते चेहरे
फोटो खिंचाने की होड़
हाथों में मोमबत्तियाँ
नहीं-नहीं, कैंडल....
साथ में लकदक पोस्टर, बैनर
जिनपर अंकित था -
'शहीदों को
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि' !!

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1036

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 12, 2016 at 10:12pm

मीडिया को साथ लिए बिना तो यहाँ कुछ नही होता नाम भी तो होना चाहिए कि फलां पार्टी ने श्रद्धान्जलि जी फलां पार्टी का जुलूस निकला टीवी में भी तो आना चाहिए ..वाह्ह्ह्हह  नपे तुले शब्दों में क्या कटाक्ष किया है बहुत बढिया प्रस्तुति आद० गणेश बागी जी हार्दिक बधाई \रचना पर देर से पँहुचने का खेद है |

Comment by Ravi Shukla on October 6, 2016 at 5:50pm

आदरणीय गण्‍ोश जी बिल्‍कुल नपी तुुली संयत प्रतिक्रिया, शानदार तंज के लिये बधाई ।  बहुत खुब 

नहीं नहीं कैंडल  इन  तीन शब्‍दों ने ही बहुत कुछ कह दिया वाह 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 8:54am
आदरणीय श्री गणेश जी बागी यथार्थ को दर्शाती सुन्दर व्यंग्य रचना पर हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 4:16pm

सामयिक विषय पर अच्छी तंजिया रचना हुई है आ. गणेश जी बागी जी बहुत बहुत बधाई आपको


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 25, 2016 at 8:03pm

आदरणीय समर साहब प्रणाम, आपका आशीर्वाद किसी भी रचना को सार्थकता प्रदान करता है, दिल से आभार व्यक्त करता हूँ आदरणीय. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 25, 2016 at 8:01pm

आदरणीय शेख उस्मानी जी, इस प्रोत्साहन करती टिप्पणी हेतु दिल से आभार व्यक्त करता हूँ.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 25, 2016 at 8:00pm

आदरणीय डॉ विजय साहब प्रणाम, इस कविता को आपका आशीर्वाद प्राप्त हुआ, मन मुग्ध है, आपका बहुत बहुत आभार.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 25, 2016 at 7:00pm

आहा----- आ० बागी जी  इस छोटी सी रचना में गजब का व्यंग है जो व्यवस्था के पाखण्ड का पर्दाफ़ाश करता है , बधाई आदरणीय .

Comment by Samar kabeer on September 25, 2016 at 3:36pm
जनाब गणेश जी 'बागी'जी आदाब,बहतरीन तंज़ के साथ सत्य को उजागर करती इस शानदार कविता के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 25, 2016 at 1:02pm
मात्र जश्न-ए-तकनीकी! मानव-मशीनें यंत्रों से युक्त , कर्तव्य-मुक्त! बेहतरीन कटाक्ष पूर्ण रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मेरे अनुभव आपके मुहावरों के गुलाम हों ये ज़रूरी तो नहीं।"
20 minutes ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"बहुत खूब, आदरणीय ... सादर प्रणाम ! बेहद खूबसूरत मक़्ते के साथ एक बेहतरीन प्रस्तुति ! हार्दिक बधाई…"
39 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपकी इस बात का कोई अर्थ नहीं निकल रहा। घड़ी भर का फ़र्क़ न मुहावरा है ना कहावत।"
48 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मंजुल मयंक जी आदाब, आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ, आपसे गुज़ारिश है कि कुछेक दर्जन गुज़िश्ता…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, आपकी ग़ज़ल के अशआर बहुत अच्छे साँचे में ढाले गये हैं मह्ज़ तराशने…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सफलता घड़ी देख कर नहीं जुनून से मिलती है। आंतरप्रेन्योर और नौकर में सिर्फ घड़ी भर का फ़र्क है"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"धन्यवाद"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"//कहा ये मुझ से कई कामयाब लोगों ने न वक़्त देख कभी काम में घड़ी न मिला// //घड़ी मिलाना तो समय का…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मिलाया लाख ज़माने से अपना जी न मिला   न पहली बार मिला और फिर कभी न मिला.... वाह क्या बात…"
2 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"सादर नमन sir जी 🙏धन्यवाद आपका 🙏मैं सुधार करता हूँ 🙏"
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब भैया जी धन्यवाद आपका 🙏😊🙏"
3 hours ago
Amit Kumar "Amit" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"जिससे मिलने की आस थी, वही न मिला।हमेशा पास रहा पर कहीं कभी न मिला।।1।। वो एक धोखा है शायद, खुशी की…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service