For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

युद्ध के विरुद्ध

जी हाँ  ! युद्ध के विरुद्ध हूँ मैं-

इस लिए नहीं की नहीं देश से प्यार मुझे
अथवा की अपनों के लिए मन नहीं डोलता है 
मेरी धमनियों में भी रक्त है वो भी खौलता है 
अपनों की शहादत पर बहुत क्रोध जागता है 
मन जोश में सीमा की और भागता है 
बदले की आग जलाती है


लेकिन
एक बात यह भी समझ में आती है 
कि 
धरित्री जननी है रक्त नहीं पचाती 
गगन जनक है रणभेरी नहीं सुहाती 


और ये भी 
कि इधर रमेश गिरे अथवा उधर रहमान 
मरती तो दोनों और केवल माएँ है


माएँ ही है जो चुपचाप शहीद हो जाती है
जीती कौमें हारी कौमें 
इस कोने में झाँक तक नहीं पाती हैं 
बस जीत -हार के जश्न मनाती हैं 
किसी के हाथ में आते हैं तमगे 
किसी को मोटी रकमें मिल जाती है 
बस केवल माएँ है जो खाली हो जाती है_

फिर फिर होती हैं पूर्वस्थिति बहाली की घोषणाएं 
फिर फिर फिर फिर संधियाँ समझोते 
किसे फिर याद रहती हैं किसी की वो मौतें_

और 
सोचना यह भी बाकी-
कि युद्ध कौन करते हैं?
कि युद्ध कौन कराते हैं ?
बिल्लियों की बाँट में बंदर कहाँ से आते हैं 
कोन हैं जो सारी रोटी ले जाते हैं? 
बिल्लियों के हाथ रीते क्यों हो जाते हैं???

जी हाँ !! युद्ध के विरुद्ध हूँ मैं

 बिलकुल विरुद्ध !!

क्योकि-

युद्ध में न हारा देश हारता है 
युद्ध में न जीता देश जीतता है 
युद्ध केवल शहीदों के सूने घरों पर बीतता है

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on September 16, 2018 at 2:10am

जनाब कबीर साहब ,जनाब शेख शहजाद त्रिपाठी जी 

आप के सुझावों के लिए सादर आभार ,,जरूर पालन होगा 

मान्य निकोर जी ,आशीष जी ,मोहम्मद आरिफ जी ,सुशील सारना जी तथा सुरेन्द्र जी 

प्रशंशा व प्रेरणा के लिए बहुत बहुत बहुत आभार 

सादर 

अमिता 

Comment by vijay nikore on September 12, 2018 at 11:20am

इस सुन्दर रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई, अमिता जी।

Comment by आशीष यादव on September 8, 2018 at 1:25pm

बहुत अच्छी कविता।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 7, 2018 at 8:29pm

बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति। बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया  अमिता तिवारी साहिबा। वरिष्ठजन की इस्लाह से लाभ लीजिएगा। सादर

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2018 at 4:56pm

आ0 तिवारी जी आपकी रचना बहुत अच्छी लगी । गुरुदेव कबीर साहब की बात पर गौर फरमाएं । अच्छी रचना के लिए बहुत सुंदर प्रयास हेतु बधाई ।

Comment by Samar kabeer on September 7, 2018 at 10:39am

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,कविता अच्छी लिखी आपने,लेकिन कुछ शिल्पगत कमज़ोरियाँ हैं जिन पर आप क़ाबू पा सकती हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

किसी के हाथ में आते हैं तगमें'

इस पंक्ति में 'तगमे' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द है "तमगे"

Comment by Mohammed Arif on September 6, 2018 at 10:32pm

आदरणीया अमिता तिवारी जी आदाब,

                            बहुत ही ज्वलंत रचना । आज हर देश इस वीभीषिका से प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से ग्रसित  है और हम सबका ख़ून खौलता है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on September 6, 2018 at 8:36pm

आदरणीया अमिता जी युद्ध विभीषिका और उससे होने वाली क्षति को आपने बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। सृजन प्रशंसा का हकदार है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by नाथ सोनांचली on September 6, 2018 at 12:59pm

आद0 अमिता जी सादर अभिवादन। बढ़िया रचना, बधाई स्वीकार कीजिये । एक निवेदन है कि रचना किस विधा में है, अवश्य लिखा कीजिये। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service