For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की- पड़ गयी जब से आपकी आदत

पड़ गयी जब से आपकी आदत,

फिर लगी कब मुझे नई आदत. 
.
ज़ाया कर दी गयीं कई क़समें
ज्यूँ की त्यूं ही मगर रही आदत.
.
मुझ को तन्हा जो छोड़ जाती है
शाम की है बहुत बुरी आदत.
.
पैरहन और कितने बदलेगी? 
रूह को जिस्म की पड़ी आदत.   
.
चन्द साथी जो बेवफ़ा न हुए,  
अश्क, ग़म, याद, बेबसी, आदत.
.
ज़िन्दगी यूँ न तू लिपट मुझ से
पड़ न जाए तुझे मेरी आदत.
.
आदतन याद जब तेरी आई
रात भर आँखों से बही आदत.
.
ये ज़माना नहीं भलाई का
छोडिये “नूर जी” भली आदत.
.
निलेश 'नूर'
मौलिक / अप्रकाशित  

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 10, 2018 at 9:13am

धन्यवाद आ. गुरप्रीत जी,,
आप के मंच पर लौटने का बेसब्री से इंतज़ार था.. 
पुन: सक्रीय  होने के लिए आभार 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 5, 2018 at 12:16pm

वाह वाह नीलेश सर जी , बहुत ही शानदार , जानदार ग़ज़ल। एक एक शेर सवा सेर। यूँ ही नहीं हम आप के फैन हुए

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 7, 2018 at 8:52pm

शुक्रिया आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2018 at 3:36pm

आ. भाई नीलेश जी, उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 5, 2018 at 4:08pm

धन्यवाद आ. समर सर,
मतले से मैं स्वयं 100% संतुष्ट नहीं हूँ ... कुछ और भी सोचता हूँ 
सादर 

Comment by Samar kabeer on May 5, 2018 at 11:37am

जनाब निलेश 'नूर' साहिब आदाब, वाह बहुत ख़ूब, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 5, 2018 at 7:19am

शुक्रिया आ. नादिर खान साहब,
मैं   भी कई अकालों को देख चुका हूँ.... ईश्वर करे कि आप पर जल्दी ही सरस्वती मेहरबान हों..
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 5, 2018 at 7:06am

शुक्रिया आ. दिनेश भाई 
आप   की दाद से हौसला बढ़ता है 
स्नेह बनाए रखिये 
आभार 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 5, 2018 at 7:05am

शुक्रिया आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 5, 2018 at 7:05am

शुक्रिया आ. हरिओम श्रीवास्तव जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service