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ग़ज़ल नूर की -जलने लगे जो ख्व़ाब सब नैन धुआँ धुआँ रहे

अरकान: नामालूम 
लय: दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त ... या ...आप को भूल जाएं हम इतने तो बेवाफ़ा नहीं ...की तरह 
.
 
जलने लगे जो ख्व़ाब सब नैन धुआँ धुआँ रहे
दिल से तेरे निकल के हम जानें कहाँ कहाँ रहे.
.
रब से दुआ है ये मेरी दिल की सदा है आख़िरी
लब पे उसी का नाम हो जिस्म में गर ये जाँ रहे.   
.
लगते हों आलिशान हम कहने को क़ामयाब हों
खो के तुझे तेरी कसम अस्ल में रायगाँ रहे.
.
तेरी तलब में जाने जाँ ख़ाक हुए वगर्ना हम  
तुझ से मिले थे उस से क़ब्ल कितनों के आसमाँ रहे.      
.
तन्हा तुम्हारे दर्द को रहने नहीं दिया कभी   
दर्द जहाँ जहाँ रहा हम भी वहाँ वहाँ रहे.
.
दैर-ओ-हरम के दौर में कौन दिलों को पूजता
घर थे सभी अँधेरे में रौशनी में मकाँ रहे.         
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 968

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:40am

शुक्रिया आ. भाई सुरेन्द्रनाथ सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 7:39am

शुक्रिया आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by नाथ सोनांचली on March 27, 2018 at 7:40am

आद0 भाई नीलेश जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन ग़ज़ल आपके हवाले से पढ़ने को मिली।कसम से मजा आ गया। बहुत खूब। बधाई देता हूँ आपको।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 26, 2018 at 7:57pm

आ. भाई नीलेश जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 2:44pm

धन्यवाद आ. मोहम्मद आरिफ साहब 

Comment by Mohammed Arif on March 26, 2018 at 1:14pm

आदरणीय नीलेश जी आदाब,

                       क्या ख़ूब ग़ज़ल हुई है । बहुत ही शानदार ग़ज़ल । पढ़कर मज़ा भी आया और बहुत कुछ सीखने को मिला । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 1:02pm

धन्यवाद आ. समर सर,
आशीर्वाद बनाए रखिये 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 26, 2018 at 1:01pm

धन्यवाद आ. बृजेश जी 

Comment by Samar kabeer on March 26, 2018 at 11:39am

आप जो दिल में ठान लेते हैं,कर गुज़रते हैं,आपकी ज़हानत पर मुझे न्याज़ है, सलामत रहिये ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 26, 2018 at 11:00am

वाह बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय ..

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