For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल,,,,इशारों का साथ दो,,,,,,,

221/2121/1221/212

है इख़्तियार तुमको बहारों का साथ दो।
लेकिन कभी तो दर्द के मारों का साथ दो।।

गर हैं निजात के लिए दरकार नेकियाँ।
डोली उठाने वाले कहारों का साथ दो।।

बाहम वो मिल सके न जो सारी हयात में।
मजबूर बेक़रार कनारों का साथ दो।।

तुम इन उदासियों की रिदाओं को चीर कर।
दिलकश हसीन शौख़ नजारों का साथ दो।।

ये वक़्त का तकाजा़ है दानाइ भी यही।
रक्खो ज़ुबान बंद इशारों का साथ दो।।

मिट्टी के ढेर हैं ये फ़कत और कुछ नहीं।
ये किसने कह दिया के मज़ारों का साथ दो।।

हर सू ज़मीं पे फैली हैं तारीकियाँ बहुत।
जाओ फ़लक पे चाँद सितारों का साथ दो।।

फूलों से दिल्लगी है तुम्हारी भले सहर।
गर है पुकार वक़्त की ख़ारों का साथ दो।।

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2017 at 3:50pm

भाई अफरोज जी सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on December 5, 2017 at 2:59pm

आदरणीय अफ़रोज़ साहब,

खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.

सादर 

Comment by Afroz 'sahr' on December 5, 2017 at 8:39am
आदरणीय डा. पवन मिश्र जी ग़ज़ल को मान देने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार,,,,
Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 6:58am

आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी, बहुत खूब। बाकमाल ग़ज़ल, दिली मुबारकबाद

Comment by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 10:27pm
आदरणीय मनोज कुमार जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी पर आपका बहुत मश्कूर हूँ।
Comment by Manoj kumar shrivastava on December 4, 2017 at 9:44pm

आदरणीय अफरोज जी सादर वन्दे! बहुत ही सुंदर रचना है। मेरी कोटिशः बधाइयाॅं स्वीकार करें।

Comment by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 5:47pm
आली जनाब समर कबीर साहिब आदाब ग़ज़ल को नवाज़ने, अपना की़मती वक़्त देने और हौसला अफ़जा़ई का बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। सादर,,
Comment by Samar kabeer on December 4, 2017 at 5:30pm

जनाब अफ़रोज़ 'सहर'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 2:41pm
आदरणीय आरिफ़ जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया,,,
Comment by Mohammed Arif on December 4, 2017 at 2:37pm
है इख़्तियार तुमको बहारों का साथ दो।
लेकिन कभी तो दर्द के मारों का साथ दो।। वाह! वाह!! बहुत ही बेहतरीन मतला । लेकिन आजकल दर्द के मारों को और दर्द दिए जा रहे हैं । काश! उनका साथ दिया जाय ।
शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद आदरणीय अफरोज़ सहर जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service